कोरोना के चलते रूस में फंसे छत्तीसगढ़ के 456 बच्चे, परिजनों ने सरकार से मदद का किया अनुरोध
परिजनों की केंद्र सरकार के निर्णय पर नजर टिकी हुई है। वहीं बच्चे भी परिजनों से कह रहे हैं कि उन्हें अब जल्द से जल्द वतन और घर लौटने की इच्छा है।
बिलासपुर, जेएनएन। रूस में छत्तीसगढ़ के 456 बच्चे फंसे हुए हैं। इसमें 34 बच्चे बिलासपुर के हैं, जो चिकित्सा शिक्षा के लिए रूस गए हैं। राजस्थान के कोटा में फंसे बच्चों की घर वापसी के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास होने के बाद रूस में फंसे बच्चों के परिवारों में भी उम्मीद जागी है, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। परिजनों ने राज्य सरकार से केंद्र से इस मामले में मदद करने की अपील करने का अनुरोध भी किया है।
रूस में फंसी बिलासपुर के एक मेडिकल छात्रा के पिता श्रीधर गौरहा का कहना है कि बच्चों के बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता। फोन पर जब भी बात होती है तो बेटी कहती है कि पापा रूस में 70 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की संख्या है। यह सुनते हैं हमें डर लगने लगता है। केंद्र सरकार के निर्णय पर नजर टिकी हुई है। वहीं, बच्चे भी परिजनों से कह रहे हैं कि उन्हें अब जल्द से जल्द वतन और घर लौटने की इच्छा है।
रसिया के पेर्म मेडिकल यूनिवर्सिटी में बच्चे कर रहे पढ़ाई
गौरतलब है कि रसिया के पेर्म मेडिकल यूनिवर्सिटी में भारत के 1250 बच्चों एवं पूरे रूस में करीब 10 हजार बच्चे अध्ययनरत हैं। इनमें छत्तीसगढ़ के 456 स्टूडेंट हैं। संक्रमण के बढ़ते मामले और अंतरराष्ट्रीय उड़ान बंद होने के कारण अभिभावक भी टूटने लगे हैं। भारत वापसी को लेकर सरकार को हर दिन गुहार लगा रहे हैं। स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय से लेकर पीएमओ तक तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि रूस में रोजाना पांच हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। इस तरह वहां कुल संक्रमित मरीजों की संख्या सत्तर हजार पार कर गई है। 66 लोगों की मौत के साथ आंकड़ा 700 के करीब पहुंच गया है। वहीं बेलारूस में दिव्यांग बच्चों के अनाथाश्रम तक कोरोना का संक्रमण पहुंच गया है। लगभग 170 बच्चों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।