स्किल्ड युवाओं के लिए नई संभावनाएं, देश की फॉर्मा इंडस्ट्री में आएगी तेजी

भारतीय कंपनियों द्वारा बनाई जाने वाली औषधियों पर भरोसे को देखकर यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में देश की फॉर्मा इंडस्ट्री और तेजी से आगे बढ़ेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 23 Apr 2020 03:49 PM (IST) Updated:Thu, 23 Apr 2020 04:07 PM (IST)
स्किल्ड युवाओं के लिए नई संभावनाएं, देश की फॉर्मा इंडस्ट्री में आएगी तेजी
स्किल्ड युवाओं के लिए नई संभावनाएं, देश की फॉर्मा इंडस्ट्री में आएगी तेजी

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के बीच हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) औषधि को कुछ हद तक कारगर मानते हुए अमेरिका, ब्रिटेन जैसे दुनिया के तमाम देशों में इसकी मांग देखी जा रही है। इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद हमारे प्रधानमंत्री से मांग की और इसके मिलने पर शुक्रिया भी कहा। दरअसल, भारत एचसीक्यू के बड़े निर्माताओं में से एक है। आज जब दुनिया कोविड 19 जैसे अदृश्य वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है और इसके लिए वैक्सीन/टीके की तलाश भी चल रही है, ऐसे में राहत देने वाली औषधियों के उत्पादन के मामले में भारत का अग्रणी होना इस क्षेत्र में आगे आने वाले दिनों में बड़े अवसरों का संकेत भी है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर के दो सौ से ज्यादा देश इस समय कोरोना वायरस (कोविड19) संक्रमण की चपेट में हैं। कई देशों ने इससे बचाव के लिए अपने यहां लॉकडाउन घोषित कर रखा है। अपना देश भी अब 3 मई तक लॉकडाउन में है। इस दौरान लोगों को घरों में ही रहना है। हालांकि ग्रीन जोन में कुछ क्षेत्रों को शर्तों के साथ खोला गया है, पर हॉटस्पाट वाले क्षेत्रों में बंदिशें पूरी तरह लागू हैं। दरअसल, समस्या यह है कि इस वायरस से निपटने के लिए किसी भी देश के पास कोई सटीक दवा या वैक्सीन नहीं है। इस स्थिति में भारत की हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन ‘संजीवनी बूटी’ के रूप में एक विकल्प बन कर सामने आई है, जिसे कोरोना के इलाज में कुछ हद तक उपयोगी माना जा रहा है।

मूलत: मलेरिया के इलाज में काम आने वाली इस दवा की मांग आज 55 से अधिक देशों में है। ऐसे में माना जा रहा है कि जेनरिक दवाओं के अलावा जिस तरह से भारत की अन्य दवाओं की मांग दुनिया में तेजी से बढ़ रही है, उससे देश की फार्मास्यूटिकल कंपनियों का तेजी से विस्तार होगा। मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए आने वाले दिनों में सरकारों का भी नई-नई एंटी माइक्रोब्रियल दवाएं, रिसर्च और चिकित्सकीय उपकरण बनाने पर अधिक जोर होगा, जहां आकर्षक पैकेज पर नौकरियों के भी अधिक अवसर होंगे।

तेजी से बढ़ता सेक्टर: पिछले एक दशक से फार्मा सेक्टर तेजी से आगे बढ़ते हुए कई नामी प्रोफेशंस को कड़ी टक्कर देता दिख रहा है। इसका प्रमाण तेजी से बढ़ते फार्मा कॉलेजेज हैं। पहले जहां एक फार्मासिस्ट की जॉब किसी डिस्पेंसरी या केमिस्ट शॉप तक ही सीमित मानी जाती थी, वहीं अब वैसा नहीं है। फार्मास्यूटिकल्स और ड्रग डिजाइन में स्पेशलाइजेशन के बाद नई मेडिसिन के निर्माण से लेकर क्लीनिकल रिसर्च जैसे कई क्षेत्रों में युवाओं के लिए करियर के मौके हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से फार्मा एक्सपर्ट दवा अनुसंधान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यहां केमिस्ट, टेक्नीशियंस और साइंस फील्ड के अन्य युवाओं के लिए रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।

करियर के मौके: देश में सिप्ला, ग्लैक्सो, कैडिला, डॉ. रेड्डीज, टॉरेंट, निकोलस पिरामल, फाइजर, जॉन्सन एंड जॉन्सन, आइपीसीए, पैनासिया बॉयोटेक जैसी तमाम देसी-विदेशी फार्मास्यूटिकल कंपनियों के आ जाने से रिसर्च एवं डेवलपमेंट के क्षेत्र में ऐसे प्रोफेशनल्स की अच्छी मांग है। एम फार्मा या पीएचडी करने के बाद कैंडिडेट नई दवाओं के शोध, प्रॉसेस डेवलपमेंट, क्लीनिकल ट्रायल जैसे कार्यों से जुड़ सकते हैं। ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता के लिए क्वालिटी कंट्रोल एवं क्वालिटी एश्योरेंस से संबंधित कुशल पेशेवरों को नियुक्त करती हैं। इसी तरह, फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के अलावा, सरकारी और निजी संस्थानों, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल्स, रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसी जगहों पर भी फार्मासिस्ट्स के पद होते हैं। जो युवा अपना काम करना चाहते हैं, वे बायोटेक्नोलॉजिकल प्रोडक्ट्स, सर्जिकल ड्रेसिंग, मेडिकल डिवाइसेज, कॉस्मेटिक्स या टॉयलेटरीज जैसी चीजों का निर्माण कार्य कर सकते हैं। ऑनलाइन/ऑफलाइन कोर्सेज: फार्मेसी का कोर्स आप ऑफलाइन के अलावा ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

ऑफलाइन माध्यम से फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मैथ्स से 12वीं के बाद डीफार्मा और बीफार्मा जैसे कोर्स कर सकते हैं। डीफार्मा (डिप्लोमा) कोर्स दो वर्ष का होता है, जबकि बीफार्मा (ग्रेजुएशन) 4 वर्ष का। वहीं, उडेमी या कोर्सेरा जैसे एजुकेशन पोर्टल्स से ऑनलाइन माध्यम से इसमें सर्टिफिकेट कोर्स भी घर बैठे भी कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज ऐंड रिसर्च, दिल्ली http://www.dipsar.ac.in जामिया हमदर्द, नई दिल्ली http://jamiahamdard.edu एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, नोएडा https://www. amity.edu

लाइफ साइंसेज में बेशुमार मौके : भारत आज दुनियाभर में वल्र्ड ऑफ फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। इस समय देश में लगभग 3 हजार फार्मा कंपनियां हैं, जो रिसर्च से लेकर दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग तक कर रही हैं। दवाओं के प्रोडक्शन के मामले में अभी यह तीसरे नंबर पर है यानी पूरी दुनिया का करीब 10 फीसदी ड्रग अकेले भारत बनाता है। जेनरिक दवाओं का भी यह सबसे बड़ा प्रदाता है और अब कोविड 19 का वर्तमान संकट भी भारत के लिए एक टर्निंग प्वाइंट की तरह है। इनोवेटिव रिसर्च के जरिए बायो फार्मास्यूटिकल हब बनने का यह अच्छा मौका है। इसलिए लाइफ साइंसेज सेक्टर में युवा टैलेंट्स के पास संभावनाओं की कमी नहीं है। लेकिन आगे की मेडिकल चुनौतियों को देखते हुए एक रिसर्च माइंडसेट विकसित किए जाने की जरूरत है, खुद को भविष्य के लिए तैयार करना होगा, ताकि इन चुनौतियों का समाधान निकालने में हम अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

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