एक ही आंख

बेपनाह नफरत करता था वह अपनी मां से, पर क्या हुआ जब सामने आया सच...

By Babita kashyapEdited By: Publish:Sat, 07 May 2016 04:09 PM (IST) Updated:Sat, 07 May 2016 04:14 PM (IST)
एक ही आंख

मेरी मां की सिर्फ एक ही आंख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफरत करता था। वह फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थीं। उनके साथ होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस होती। एक बार वह मेरे स्कूल आईं और मैं फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ। वह मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हंै? अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया।

मैं चाहता था मेरी मां इस दुनिया से गायब हो जाएं। मैंने कहा, 'मां तुम्हारी दूसरी आंख क्यों नहीं है? तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है। तुम मर क्यों नहीं जातीं?' मां ने कुछ नहीं कहा, पर मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूंगा ताकि मुझे अपनी एक आंख वाली मां और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाए।

उसके बाद मैंने मेहनत से पढ़ाई की। मां को छोड़कर बड़े शहर आ गया। यूनिवर्सिटी की डिग्री ली। अपना घर खरीदा, शादी की और मंै सफल व्यक्ति भी बन गया। मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहां मां से जुड़ी कोई भी याद नहीं थी। मेरी खुशियां दिन-पर-दिन बड़ी हो रही थीं, तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। सामने मेरी मां खड़ी थीं, आज भी अपनी एक आंख के साथ। मुझे लगा कि मेरी पूरी दुनिया फिर से बिखर रही है। मैंने उनसे पूछा, 'आप कौन हो? मैं आपको नहीं जानता। यहां आने की हिम्मत कैसे हुई? तुरंत मेरे घर से बाहर निकल जाओ।' मां ने जवाब दिया, 'माफ करना, लगता है गलत पते पर आ गई हूं।' वह चली गईं और मैं यह सोचकर खुश हो गया कि उन्होंने मुझे पहचाना नहीं।

एक दिन स्कूल री-यूनियन की चि_ी मेरे घर पहुंची और मैं अपने पुराने शहर पहुंच गया। पता नहीं मन में क्या

आया कि मैं अपने पुराने घर चला गया। वहां मां जमीन पर मृत पड़ी थी। मेरी आंख से एक बूंद आंसू तक नहीं गिरा।

उनके हाथ में एक कागज का टुकड़ा था...वो मेरे नाम उनकी पहली और आखिरी चि_ी थी। उन्होंने लिखा था''मेरे बेटे...मुझे लगता है मैंने अपनी जिंदगी जी ली है। मैं अब तुम्हारे घर कभी नहीं आऊंगी... पर क्या यह आशा करना कि तुम कभी-कभार मुझसे मिलने आ जाओ, गलत है? मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है। मुझे माफकरना कि मेरी एक आंख की वजह से तुम्हें पूरी जिंदगी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।

दरअसल जब तुम छोटे थे तो दुर्घटना में तुम्हारी एक आंख चली गई थी। एक मां के रूप में मैं यह नहीं देख सकती थी कि तुम एक आंख के साथ बड़े हो, इसीलिए मैंने अपनी एक आंख तुम्हें दे दी। मुझे इस बात का गर्व था कि मेरा बेटा मेरी उस आंख की मदद से पूरी दुनिया के नए आयाम देख पा रहा है।

मेरी तो पूरी दुनिया ही तुमसे है।''

चि_ी पढ़कर मेरी दुनिया बिखर गई। मैं उसके लिए पहली बार रोया जिसने अपनी जिंदगी मेरे नाम कर

दी... मेरी मां.

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