फार्मेसी इंडस्ट्री: बढ़ते सेक्टर में करियर संभावनाएं
फार्मेसी सेक्टर तीव्र प्रगति के साथ आज हमारा देश ‘फार्मेसी आफ द वर्ल्ड’ के रूप में दुनिया भर को सेवाएं (दवाओं और टीके के रूप में) दे रहा है। इस फील्ड में कुशलता हासिल कर युवा सरकारी और निजी क्षेत्र में आसानी से अपने करियर को आगे बढ़ा सकते हैं...
धीरेंद्र पाठक। फार्मेसी एक ऐसा सेक्टर है, जिस पर किसी तरह की मंदी का कोई नहीं होता। इस सेक्टर की तीव्र प्रगति के साथ आज हमारा देश ‘फार्मेसी आफ द वर्ल्ड’ के रूप में दुनिया भर को सेवाएं (दवाओं और टीके के रूप में) दे रहा है। इस फील्ड में कुशलता हासिल कर युवा सरकारी और निजी क्षेत्र में आसानी से अपने करियर को आगे बढ़ा सकते हैं...
फार्मेसी आज के उन चुनिंदा क्षेत्रों में से एक है, जो कोरोना के बाद और ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रहा है, क्योंकि विभिन्न रोगों और संक्रमण से बचाने के लिए दवाओं और टीकों की जरूरत लगातार बढ़ रही है। लगातार बढ़ती बीमारियों के बीच आवश्यक दवाएं कितनी जरूरी हैं, यह हम सब जानते हैं। यूं कहें कि दवाओं के बिना आज पूरी तरह स्वस्थ रह पाना शायद ही संभव है। हाल के वर्षों में जीवनरक्षक दवाओं की मांग में बढ़ोत्तरी इसका उदाहरण है। अच्छी बात यह है कि दवाओं के निर्माण में भारत आज दुनिया का अग्रणी देश भी बन चुका है। आइबीईएफ (इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन) के अनुसार, दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता होने के अलावा भारत विभिन्न टीकों की वैश्विक मांग की 50 प्रतिशत की आपूर्ति अकेले कर रहा है। कोरोना के बाद नई-नई दवाओं/टीकों की खोज से लेकर उसके निर्माण और शोध के लिए मशीन लर्निंग, एआइ जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से इस क्षेत्र के विकास के साथ-साथ यहां करियर संभावनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं।
आकर्षक करियर संभावनाएं: वर्तमान समय में घरेलू फार्मा इंडस्ट्री में करीब तीन हजार से अधिक दवा कंपनियां है। साथ ही 10500 के करीब मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स भी हैं। इसलिए फार्मेसी आज के समय में ऐसा फील्ड है, जहां अनेक रूपों में रोजगार के अवसर हैं। एक डीफार्मा या एफफार्मा कोर्स कर लेने के बाद कई तरह की करियर की राहें खुल जाती हैं :
क्लिनिकल डाटा मैनेजर: ये प्रोफेशनल उन डाटा एनालिस्ट और रिसर्चर्स की टीमों का मार्गदर्शन करते हैं जो क्लिनिकल डाटा एकत्र करके उनका मूल्यांकन करते हैं। ये ट्रायल से मिलने वाले डाटा को व्यवस्थित करने जैसे दूसरे काम भी देखते हैं।
फार्मास्यूटिकल रिसर्च साइंटिस्ट: दवाओं की खोज और उसके रिसर्च से संबंधित दूसरे सभी काम यही प्रोफेशनल करते हैं। विकास के साथ-साथ परीक्षण के लिए अनुसंधान करते हैं। दवाएं या वैक्सीन बनने के बाद मार्केट में आने से पहले उनके ट्रायल का काम भी इन्हीं की देखरेख में होता है
बायोटेक्नोलाजी कंसल्टेंट: ये जैव प्रौद्योगिकी संगठनों के प्रबंधकों को बेहतर दवाएं और चिकित्सकीय उपकरण विकसित करने के तरीकों पर मार्गदर्शन और सलाह देते हैं। ये ग्राहकों से जुड़े मुद्दों को हल करने और उनके समाधान निकालने में भी सहायता प्रदान करते हैं, जैसे कि संगठनों को उपकरण और उपकरण खरीद पर सही निर्णय लेने में सहायता करना या चिकित्सा और फार्मास्यूटिकल्स उपकरणों जैसी नवीनतम तकनीकों या उत्पादों को पेश करना इत्यादि।
फार्मासिस्ट: सरकारी अस्पतालों से लेकर हर निजी अस्पताल में ये प्रोफेशनल अपनी सेवाएं देते हैं। इसके अलावा, फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज या रिसर्च इंस्टीट्यूट में फार्मासिस्ट्स के पद होते हैं। फार्मासिस्ट नुस्खे के अनुसार दवाएं देने में काफी कुशल होते हैं। इसलिए नियम के अनुसार, सभी केमिस्ट शाप को भी अपने यहां फार्मासिस्ट्स को रखना अनिवार्य होता है।
ड्रग इंस्पेक्टर: फार्मेसी कोर्स करके ड्रग इंस्पेक्टर के रूप में सरकारी नौकरी पा सकते हैं। इनकी रिक्तियां नियमित रूप से आती रहती हैं। यही ड्रग इंस्पेक्टर मार्केट में आने वाली दवाओं की गुणवत्ता, उसकी उपयोगिता और सेफ्टी को सुनिश्चित करने का काम करते हैं। इन प्रोफेशनल्स को दवाओं और दवाओं से जुड़े कानूनों की अच्छी जानकारी होती है।
फार्मास्यूटिकल सेल्स रिप्रजेंटेटिव: इन प्रोफेशनल्स को संक्षेप में एमआर भी कहते हैं। आज हर तरह की फार्मेसी में इस तरह के प्रोफेशनल्स की आवश्यकता देखी जा रही है। ये प्रोफेशनल फार्मा कंपनियों की दवाएं और उनके चिकित्सा उपकरण को बेचने में कुशल माने जाते हैं। इसके अलावा, ये ग्राहकों की जरूरतों का आकलन करके उसी अनुसार दूसरे उत्पाद मार्केट तक पहुंचाने में मदद करते हैं। डाक्टरों के साथ समन्वय रखकर उनके फीडबैक को भी कंपनी तक पहुंचाते हैं।
रेगुलेटरी स्पेशलिस्ट: ये प्रोफेशनल बायोटेक्नोलाजी के अलावा, दवा कंपनियों को उनके प्रोडक्ट की मंजूरी दिलाने में मदद करते हैं। साथ ही, कंपनी के विज्ञानियों को भी यह सलाह देते हैं कि दवाओं को विकसित करते समय नियमों का पालन कैसे करें और सरकारी अधिकारियों से यह सलाह लेते हैं कि उपकरणों या पदार्थों को कैसे नियमों के अनुरूप बनाया जाए। कुल मिलाकर, ये प्रोफेशनल नियामक विशेषज्ञ होने के साथ-साथ सरकार और दवा नीति दोनों को अच्छीर तरह समझते हैं।
कोर्सेज एवं योग्यताएं: फार्मेसी में इनदिनों डिप्लोमा और डिग्री दोनों तरह के कोर्स कराए जा रहे हैं। डिप्लोमा कोर्स के लिए पीसीबी या पीसीएम विषयों के साथ बारहवीं होना चाहिए। यह दो वर्ष का कोर्स होता है। वहीं, ग्रेजुएशन बीफार्मा चार वर्ष का है। यह कोर्स मैथ्स के अलावा, कंप्यूटर साइंस, बायोटेक्नोलाजी व बायोलाजी से बारहवीं करने वाले स्टूडेंट कर सकते हैं। बीफार्मा करने के बाद आगे चलकर इसी में आप मास्टर्स और डाक्टरेट भी कर सकते हैं। डीफार्मा कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिये जाते हैं। एक आंकड़े के अनुसार, देश में इस समय करीब 300 संस्थानों द्वारा फार्मेसी में डिप्लोमा और डिग्री जैसे कोर्स कराये जा रहे हैं।
प्रमुख संस्थान
दिल्ली इंस्टीट्यूट आफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज ऐंड रिसर्च, दिल्ली
www.dipsar.ac.in
जामिया हमदर्द, नई दिल्ली
http://jamiahamdard.edu
आइपी यूनिवर्सिटी, दिल्ली
http://www.ipu.ac.in
लायड इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलाजी (फार्मेसी), ग्रेटर नोएडा
https://lloydpharmacy.edu.in/
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हाइलाइट्स
-103 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत से फार्मा उत्पादों का निर्यात 2021-22 में 1,83,,83,422 करोड़ रुपये का हो गया, जो 2013-14 में केवल 90,415 करोड़ रुपये का था।
-50 प्रतिशत अकेले भारत उपलब्ध कराता है विभिन्न प्रकार के टीकों की कुल वैश्विक मांग का।
-जेनरिक औषधियों का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है भारत।
-3 स्थान पर है दुनिया में भारत फार्मा उत्पादों के निर्माण के मामले में।
-3 हजार से अधिक ड्रग कंपनियां और 10500 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स अपनी सेवाएं दे रही हैं इस समय घरेलू फार्मा इंडस्ट्री में।
-2030 तक देश का फार्मा कारोबार तीन गुना तक बढ़ने की उम्मीद है।
(आइबीईएफ के आंकड़ों के अनुसार)
हर समय रहती हैं रिक्तियां
जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए दवाओं की निर्बाध आपूर्ति फार्मा सेक्टर ही करता है, ऐसे में इस पर किसी तरह की मंदी का कोई असर नहीं होता। इस सेक्टर में नई-नई दवाओं और टीकों की खोज लगातार जारी रहती है, ऐसे में इसमें सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में रिक्तियां हमेशा बनी रहती हैं। कालेजों में लाइव प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले युवाओं फार्मा कंपनियां प्लेसमेंट में प्राथमिकता देती हैं।
-डा. वंदना अरोड़ा सेठी
चीफ स्ट्रेटेजी आफिसर एंड हेड आफ ग्रोथ
लायड ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन, ग्रेटर नोएडा