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सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे सूचीबद्ध करने की प्रणाली सुधारी, पूर्ण पीठ की बैठक के एक दिन बाद लिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने समय की कमी के कारण सुनवाई के लिए मामले सूचीबद्ध नहीं किए जाने को लेकर वकीलों और वादियों-प्रतिवादियों की चिंताओं को दूर करने के लिए बुधवार को नई प्रणाली पेश की जिसके तहत सुनवाई से वंचित रह गये मिसलेनियस मामलों को अगले दिन सूचीबद्ध किया जाएगा।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2022 04:30 AM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2022 04:30 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे सूचीबद्ध करने की प्रणाली सुधारी

नई दिल्ली, एजेंसियां: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण पीठ की बैठक के एक दिन बाद और समय की कमी के कारण सुनवाई के लिए मामले सूचीबद्ध नहीं किए जाने को लेकर वकीलों और वादियों-प्रतिवादियों की चिंताओं को दूर करने के वास्ते बुधवार को नई प्रणाली पेश की, जिसके तहत सुनवाई से वंचित रह गये विविध (मिसलेनियस) मामलों को अगले दिन सूचीबद्ध किया जाएगा।

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शीर्ष अदालत की ओर से जारी एक सर्कुलर में कहा गया कि बार के सदस्यों, पार्टी-इन-पर्सन्स (खुद से पक्ष रखने वाले याचिकाकर्ताओं) और सभी संबंधितों को यह सूचित किया जाता है कि सक्षम प्राधिकारी मंगलवार को सुनवाई के लिए नहीं लिए जा सके 'विविध' मामलों को अगले दिन बुधवार को सूचीबद्ध करेंगे और बुधवार को नहीं सुने गये मामलों को अगले दिन गुरुवार को सूचीबद्ध किया जाएगा। सर्कुलर के अनुसार इसी तरह, गुरुवार को जो 'विविध' मामले सुनवाई के लिए नहीं लिए जा सकेंगे उन्हें अगले सप्ताह मंगलवार को सूचीबद्ध किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, लंबित मामलों की संख्या में कमी और मुकदमों को सूचीबद्ध किए जाने की नयी प्रणाली समेत विभिन्न मुद्दों पर मंगलवार को भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआइ) यूयू ललित की अध्यक्षता में सभी जजों की एक बैठक हुई थी। जस्टिस ललित के सीजेआइ का पदभार ग्रहण करने के बाद 29 अगस्त से शीर्ष अदालत में शुरू की गई नई प्रणाली के तहत वकीलों ने संबंधित पीठों द्वारा अपने मामलों के सूचीबद्ध न होने को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे थे। 29 अगस्त से शुरू की गई नई व्यवस्था के तहत शीर्ष अदालत के जज दो अलग-अलग पाली में काम कर रहे हैं। नई प्रणाली में यह प्रविधान है कि प्रत्येक सप्ताह के सोमवार और शुक्रवार को 30 जजों को दो-दो जजों के संयोजन में बैठना होगा। प्रत्येक पीठ को 60 से अधिक विविध मामलों की सुनवाई करनी होगी, जिनमें नई जनहित याचिकाएं भी शामिल हैं।

नई प्रणाली के तहत यह भी निर्धारित किया गया है कि मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को पीठ तीन-तीन जजों के संयोजन में बैठेगी और पहले (सुबह के सत्र में) दोपहर एक बजे तक वैसे मामलों की विस्तृत सुनवाई करेंगे, जो आम तौर पर वर्षों से लंबित हैं। भोजनावकाश के बाद के सत्र (दोपहर के सत्र) में पीठें दो जजों के संयोजन में बैठेंगीं और पहले (एक क्षेत्राधिकार से दूसरे क्षेत्रों में मामलों को स्थानांतरित करने से संबंधित) स्थानांतरण याचिकाओं को सुनेंगी और फिर जनहित याचिकाओं सहित नये मामलों को सुनेंगी। उसके बाद चार बजे तक 20 से 30 नोटिस वाले मामलों की सुनवाई करेंगी।

शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गत 13 सितंबर को एक न्यायिक आदेश जारी करते हुए वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए सीजेआइ यूयू ललित द्वारा पेश की गई नई प्रणाली पर असंतोष जताया था। यह अपने आप में अनोखा उदाहरण है। शीर्ष अदालत में वर्तमान में वरिष्ठता में तीसरे नंबर के जज संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक आपराधिक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था।


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