भीमा-कोरगांव हिंसा: माओवादी समर्थक वरवर राव को 26 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा

भीमा-कोरगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने एक्टिविस्ट वरवर राव को उनके हैदराबाद स्थित घर से गिरफ्तार किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 10:38 PM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 04:55 PM (IST)
भीमा-कोरगांव हिंसा:  माओवादी समर्थक वरवर राव को 26 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा
भीमा-कोरगांव हिंसा: माओवादी समर्थक वरवर राव को 26 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा

 पुणे, प्रेट्र। तेलुगु कवि और माओवादी समर्थक वरवर राव को पुणे पुलिस ने हैदराबाद स्थित उनके आवास से शनिवार देर शाम हिरासत में ले लिया। कोर्ट ने एक्टिविस्ट वरवर राव को 26 नवंबर तक की पुलिस हिरासत में भेजा। बता दें कि अभी तक राव घर पर नजरबंद थे। सहायक पुलिस आयुक्त और जांच अधिकारी शिवाजी पवार ने बताया कि हैदराबाद हाई कोर्ट द्वारा बढ़ाई गई राव की नजरबंदी की मियाद 15 नवंबर को पूरी हो गई थी।

शुक्रवार को हैदराबाद की अदालत ने पुणे पुलिस द्वारा ट्रांजिट वारंट के खिलाफ दायर की गई राव की अर्जी को खारिज कर दिया था जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने अगस्त में कई जगह छापे मारे थे जिसके बाद वरवर राव को हैदराबाद से, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। जबकि ठाणे से अरुण फरेरा और गोवा से वर्नान गोंजालविस को गिरफ्तार किया गया था।

हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को रिहा कर दिया था। पुलिस का आरोप था कि इन पांचों का संबंध में उन माओवादियों से है, जिन्होंने पिछले साल 31 दिसंबर को यलगार परिषद का आयोजन किया था। पुलिस का आरोप है कि परिषद का ही भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़काने में हाथ रहा है।

गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में जातीय हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में 1 की मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में हिंसा फैल गई थी।

तेलंगाना के वरवर राव 1957 से कविताओं के माध्यम से समाज के कमजोर तबकों में ऊर्जा का संचार करने वाले वामपंथी विचारक और वीरासम (रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन) के संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें सबसे पहले 1973 में मीसा के तहत गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें 1975 से लेकर 1986 तक कई मामलों में गिरफ्तार किया गया।

1986 के रामनगर षड्यंत्र मामले में गिरफ्तार होने के 17 साल बाद उन्हें 2003 में इस मामले में रिहाई मिली। 19 अगस्त 2005 को आंध्र प्रदेश सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत उन्हें फिर से गिरफ्तार करके हैदराबाद स्थित चंचलगुडा जेल भेजा गया। बाद में 31 मार्च 2006 को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के खत्म होने सहित राव को अन्य सभी मामलों में जमानत मिल गई।

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