World Thalassaemia Day 2020: जानें, क्यों होता है थैलेसीमिया और क्या है इसका उपचार

World Thalassaemia Day 2020 यह एक अनुवांशिक रोग है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। इस रोग में आरबीसी ( जिसे रेड ब्लड सेल्स कहते हैं ) की संख्या में बड़ी तेजी से गिरावट होने लगता है।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Fri, 08 May 2020 02:02 PM (IST) Updated:Fri, 08 May 2020 02:02 PM (IST)
World Thalassaemia Day 2020: जानें, क्यों होता है थैलेसीमिया और क्या है इसका उपचार
World Thalassaemia Day 2020: जानें, क्यों होता है थैलेसीमिया और क्या है इसका उपचार

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Thalassaemia Day 2020: हर साल 8 मई को दुनियाभर में विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को थैलीसीमिया बीमारी के प्रति जागरूक करना है। इस साल की थीम 'थैलेसीमिया के लिए एक नए युग की शुरुआत” है। यह समय वैश्विक प्रयास कर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों रोगियों के लिए सुलभ और सस्ती थैरेपीज बनाने का है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। खासकर बच्चों को इससे अधिक खतरा है।

थैलेसीमिया क्या है

यह एक अनुवांशिक रोग है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। इस रोग में आरबीसी ( जिसे रेड ब्लड सेल्स कहते हैं ) की संख्या में बड़ी तेजी से गिरावट होने लगता है। साथ ही आरबीसी के नए सेल्स नहीं बनते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी होने लगती है। इसके बाद व्यक्ति कई अन्य बीमारियों की चपेट में आने लगता है।

थैलेसीमिया के क्या लक्षण हैं-

इस रोग में व्यक्ति को छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान, सिरदर्द की शिकायत होती है।

थैलेसीमिया के क्या उपचार हैं-

इस रोग से बचने के लिए रोगी को पर्याप्त मात्रा में विटामिन और आयरन युक्त चीजों का सेवन करना चाहिए। कई मौकों पर रोगी के रक्त को बदला जाता है और सर्जरी कर पित्ताशय की थैली को हटाया जाता है। रोगी को संतुलित आहार लेना चाहिए। नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए।

भारत में थैलेसीमिया के आंकड़े

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 10 हजार से अधिक बच्चे जन्मजात थैलेसीमिया के रोगी होते हैं। ये आंकड़े विश्व में सबसे अधिक है। वहीं, बात करें विश्व की तो दुनियाभर में तकरीबन एक लाख बच्चे जन्म से थैलेसीमिया के शिकार होते हैं। ऐसा आनुवंशिकता के चलते होता है। अगर किसी बच्चे को थैलेसीमिया की शिकायत होती है तो उसे ताउम्र इसका उपचार कराना पड़ता है।

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