World Schizophrenia Day 2024: तरह-तरह के भ्रम और डरावने साए करते हैं परेशान, तो हो सकती है ये दिमागी बीमारी, एक्सपर्ट ने बताए कारण
24 मई को दुनियाभर में हर साल विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस (World Schizophrenia Day 2024) मनाया जाता है। यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को अक्सर भ्रम और डरावने साए दिखने की शिकायत होती है। ऐसे में सोचने समझने और व्यवहार में असामान्य बदलाव आ जाते हैं। आइए एक्सपर्ट की मदद से जानते हैं सिजोफ्रेनिया होने की कुछ मुख्य वजहों के बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Schizophrenia Day 2024: दुनियाभर में हर साल 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। महिला, पुरुष या फिर किसी भी उम्र का व्यक्ति इस मानसिक बीमारी की चपेट में आ सकता है। इससे पीड़ित शख्स अपनी ही दुनिया में मग्न रहते हैं और खुद को लोगों से अलग-थलग कर लेते हैं।
आमतौर पर किशोरावस्था से ही इसके लक्षण नजर आने लगते हैं, जैसे- पढ़ाई-लिखाई में मन न लगना, चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या, अकेले रहना, अपने आप में हंसना या रोना, किसी चीज पर फोकस न कर पाना या ऐसी आकृतियां दिखना जिन्हें दूसरे न देख पाएं।
ऐसे में, रोगी अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है और उसे परिवार और समाज के सपोर्ट की जरूरत होती है। बस इसी मकसद से लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए ही दुनियाभर में हर साल वर्ल्ड सिजोफ्रेनिया डे मनाया जाता है। इस आर्टिकल में एक्सपर्ट की मदद से जानेंगे कि ऐसे कौन-से कारण हैं, जो सिजोफ्रेनिया का जोखिम बढ़ाते हैं।
क्या है सिजोफ्रेनिया?
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है, जिससे जूझने में कई बार व्यक्ति की पूरी जिंदगी भी बीत जाती है। इससे पीड़ित शख्स अपनी कल्पना को ही सच्चाई मान बैठता है और अक्सर भ्रम की स्थिति में रहता है। आसान शब्दों में समझें, तो हमारे दिमाग में डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो ब्रेन और बॉडी के बीच तालमेल बैठाने का काम करता है, लेकिन जब किसी कारण से डोपामाइन की मात्रा बढ़ जाती है, तो इसे सिजोफ्रेनिया कहते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया की तकरीबन 1 फीसदी आबादी सिजोफ्रेनिया की शिकार है, वहीं भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 40 लाख के करीब है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने डॉ ज्योति कपूर, फाउंडर - डायरेक्टर और सीनियर साइकेट्रिस्ट, मनस्थली से खास बातचीत की।
डॉ ज्योति कपूर कहती हैं, कि “खराब लाइफस्टाइल और पर्याप्त पोषण न मिलने से भी सिजोफ्रेनिया होने का खतरा हो सकता है। जो लोग अस्वस्थ आदतों जैसे खराब डाइट, एक्सरसाइज की कमी, मादक द्रव्यों के सेवन और अपर्याप्त नींद आदि से ग्रसित रहते हैं उनमें सिजोफ्रेनिया समेत अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के होने का खतरा ज्यादा होता है।”
डॉ ज्योति ने बताया, कि “पोषण संबंधी कमियां, विशेष रूप से आवश्यक फैटी एसिड, विटामिन और मिनिरल्स की कमी, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को खराब कर सकती है और सिजोफ्रेनिया के लिए आनुवंशिक प्रवृत्ति को बढ़ा सकती है। इसके अलावा क्रोनिक स्ट्रेस और खराब लाइफस्टाइल व्यवहार न्यूरो इंफ्लेमेशन और न्यूरोट्रांसमीटर के डिस रेग्यूलेशन को पैदा कर सकता है, जो इस बीमारी के होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। इसलिए विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर आइए जोखिम को कम करने और मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए संतुलित डाइट, नियमित शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त नींद और तनाव कम करने का संकल्प लें।”
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