किचन के बर्तन न कर दें आपको बीमार, सोच-समझकर करें इनकी खरीददारी और इस्तेमाल

किचन के बर्तन न कर दें आपको बीमार इसलिए सोच-समझकर करें इनकी खरीददारी और इस्तेमाल। तो आइए जानते हैं अलग-अलग तरह के बर्तन और इनसे होने वाले नुकसान के बारे में...

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 07:00 AM (IST)
किचन के बर्तन न कर दें आपको बीमार, सोच-समझकर करें इनकी खरीददारी और इस्तेमाल
किचन के बर्तन न कर दें आपको बीमार, सोच-समझकर करें इनकी खरीददारी और इस्तेमाल

किचन, घर की एक ऐसी जगह जहां आपका ज्यादातर वक्त बीतता है। जहां से आप परिवार वालों को अच्छा और सेहतमंद खाना ही नहीं परोसती बल्कि जाने-अंजाने इसके साथ कई सारे टॉक्सिन्स भी सर्व करती हैं। इसका मतलब महज किचन की साफ-सफाई से ही नहीं जुड़ा है बल्कि वहां इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन और हाथ पोंछने के लिए कपड़े से भी है। फिलहाल हम बात बर्तनों की करेंगे। कोई नया डिनर सेट दिखा नहीं कि उसकी खूबसूरती पर मर मिटे और उसे खरीद लिया। अपनी सुविधानुसार मनमाने ढंग से उसका उपयोग भी करने लगे, बिना यह जाने कि कहीं इसका ऐसा उपयोग सेहत पर भारी तो नहीं पडेगा! तो आइए जानते हैं अलग-अलग तरह के कुकवेयर्स और इनसे होने वाले नुकसान के बारे में...

मेलामाइन कुकवेयर्स

मेलामाइन के बर्तन को उबालने के लिए इस्तेमाल न करें। इन्हें लंबे समय तक भी प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। एक नए अध्ययन के अनुसार मेलामाइन से बने प्लास्टिक बोल्स में गर्म खाना सर्व किया जाए तो केमिकल खाने में चला जाता है, जिससे किडनी स्टोन हो सकता है, किडनी टिश्यूज को नुकसान पहुंच सकता है। यूरिन संबंधी गडबडियां (कम यूरिन, यूरिन में ब्लड आना) और हाइ ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है। मेलामाइन बोल में सामान्य तापमान पर फ्रूट्स रखना सही है, लेकिन इनमें एसिडिक, हॉट या लिक्विड फूड नहीं रखना चाहिए। मेलामाइन वाले माइक्रोवेव डिशेज का इस्तेमाल कम करना चाहिए।

प्लास्टिक कुकवेयर्स

कई बार माइक्रोवेव में प्लास्टिक बोल रख कर खाना गर्म करना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। जब माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर में खाना रखा जाता है तो उससे कुछ ऐसे केमिकल्स निकलते हैं, जो पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। शोधों में पाया गया है कि इनसे कुछ खास तरह के कैंसर्स का खतरा बढ सकता है। जब तक कंटेनर पर माइक्रोवेव सेफ का लेबल न लगा हो, उसे गर्म करने न रखें।

एल्युमिनियम कुकवेयर्स

ऐसे यूटेंसिल्स लाइटवेट, रस्ट-फ्री, सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं, लिहाजा किचन में इनका इस्तेमाल काफी होता है। लेकिन डॉक्टर्स कहते हैं कि इनका लंबे समय तक इस्तेमाल हानिकारक है। कारण यह है कि एल्युमिनियम वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के प्रति तेजी से प्रतिक्रिया करता है और एल्युमिनियम ऑक्साइड रिलीज करता है। एल्यूमिनियम ऑक्साइड यूटेंसिल्स की तली में लेयर्स बना देता है। जब हम इन बर्तनों में खाना खाते हैं तो यह टॉक्सिक पदार्थ खाने के जरिये शरीर में चला जाता है। यह ब्रेन पर सीधे असर करता है। साथ ही, किडनी और रेनल को भी नुकसान पहुंचाता है। एल्युमिनियम से खाने में मौजूद विटमिंस व मिनरल्स कम होते हैं। नमक, चाय, सोडा, लेमन, टमाटर जैसी चीजें इनमें न रखें। चपाती रोल करने के लिए एल्युमिनियम फॉयल का प्रयोग होता है। इसकी भीतरी डल परत ही सुरक्षित कोटिंग है, जो खाने को नुकसान से बचाती है।

नॉन स्टिक कुकवेयर

आजकल टैफलोन कोटेड कुकवेयर्स का इस्तेमाल काफी हो रहा है। नॉन-स्टिक यूटेंसिल्स में एक खास केमिकल इस्तेमाल होता है, जिसे पीएफओए कहा जाता है। इसके अधिक और निरंतर इस्तेमाल का प्रभाव भ्रूण पर पड सकता है, जिससे बच्चे के थायरॉयड हॉर्मोन का स्तर गिरता है और इससे ब्रेन का विकास अवरुद्ध होता है, आइक्यू घटता है और बच्चों में बिहेवियरल समस्याएं हो सकती हैं।

स्टील कुकवेयर्स

स्टील कुकवेयर्स सबसे कम हानिकारक हैं। आजकल कॉपर और एल्युमिनियम की लेयर वाले स्टील कुकवेयर्स चलन में हैं। ये मेटल्स हीट के अच्छे कंडक्टर हैं और जल्दी गर्म हो जाते हैं। इससे टॉक्सिक पदार्थ खाने में सीधे नहीं आ पाते। लेकिन स्टील कुकवेयर्स को स्टील वूल से न साफ करें।

ग्लास कुकवेयर्स

लंबे समय तक एक से ग्लास कुकवेयर्स का इस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचान सकता है। पुराने ग्लास पॉट्स से लीड टॉक्सिसिटी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। वैसे पिछले 10 वर्षो से हो रहे निरंतर शोधों ने इन्हें काफी सुरक्षित बना दिया है।

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