देशद्रोह के मुकदमे के बाद स्टेन स्वामी बोले, नहीं भड़का रहे ग्रामीणों को; चिट्ठी लिखकर दी सफाई

पुलिस का आरोप है कि स्टेन स्वामी ने ग्रामीणों को भड़काकर देश विरोधी गतिविधियों के लिए उकसाया था।

By Edited By: Publish:Wed, 01 Aug 2018 11:41 AM (IST) Updated:Wed, 01 Aug 2018 02:03 PM (IST)
देशद्रोह के मुकदमे के बाद स्टेन स्वामी बोले, नहीं भड़का रहे ग्रामीणों को; चिट्ठी लिखकर दी सफाई
देशद्रोह के मुकदमे के बाद स्टेन स्वामी बोले, नहीं भड़का रहे ग्रामीणों को; चिट्ठी लिखकर दी सफाई

रांची। झारखंड सरकार ने पत्थलगड़ी मामले में जन विकास आंदोलन के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस का आरोप है कि स्टेन स्वामी ने ग्रामीणों को भड़काकर देश विरोधी गतिविधियों के लिए उकसाया था। स्टेन स्वामी ने अपने ऊपर लगे देशद्रोह के मुकदमे के खिलाफ एक चिट्ठी जारी की है।

स्टेन स्वामी ने अपनी चिट्ठी में सफाई दी है कि वो आदिवासियों के हित में और विस्थापन के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। स्टेन स्वामी का कहना है कि उन्होंने कभी भी देश के खिलाफ कोई बात नहीं कही। हां व्यवस्था के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी है और वे गरीबों के हित में अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। स्टेन स्वामी ने लिखा है कि पुलिस ने मुझपर फेसबुक पोस्ट के माध्यम से आदिवासियों को भड़काने का आरोप लगाया है। पिछले दो दशकों से मैं आदिवासियों के संघर्ष में उनके साथ रहा हूं। बड़े कॉरपोरेट घरानों के द्वारा गरीबों की जमीन का अधिग्रहण के खिलाफ मैंने हमेशा आवाज बुलंद की है। मैंने सरकार के क्रियाकलापों पर सवाल खड़े किए हैं।

स्टेन स्वामी ने कहा है कि वे सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ रहे हैं। स्टेन स्वामी ने कहा है कि अगर सरकार इन सवालों का सही-सही जवाब दे तो वे अपने ऊपर लगे आरोपों को मान लेंगे। सरकार जनजातीय क्षेत्रों में पांचवीं अनुसूची लागू क्यों नहीं कर रही। संविधान का अनुच्छेद 244-1 कहती है कि जनजातीय परामर्शदातृ परिषद में सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग ही होंगे। क्या झारखंड में इस मुद्दे पर संविधान का उल्लंघन नहीं हो रहा है।

स्टेन स्वामी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी प्रतिबंधित संगठन का मेंबर होना आपको क्रिमिनल साबित नहीं कर देता। हजारों लोग नक्सली समर्थक होने के आरोप में जेल में बंद हैं। उनकी जमानत कराने वाला कोई नहीं है। क्या ऐसे लोगों के लिए आवाज उठाना देशद्रोह है। अपनी चिट्ठी में स्टेन स्वामी ने लिखा है कि झारखंड सरकार के भूमि संशोधन बिल का तमाम विपक्षी दल भी विरोध कर रहे हैं। वे इस संशोधन को आदिवासी और मूलवासी समाज के लिए घातक मानते हैं। क्या इस कानून का विरोध करना उनको देशद्रोही साबित करता है। यदि ऐसा है तो हां मैं देशद्रोही हूं।

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