चर्च ऑफ इंडिया ही मूल चर्च, जार्ज पंचम के बाद भारत सरकार ने भी दी मान्यता
चर्च ऑफ इंडिया के महाधर्माध्यक्ष ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, रांची : चर्च ऑफ इंडिया के महाधर्माध्यक्ष (उत्तर प्रदेश) मोस्ट रेव्ह जॉन अगस्टीन ने कहा कि चर्च ऑफ इंडिया ही ऐतिहासिक एवं मूल चर्च है, जिसकी स्थापना 18वीं सदी में हुई थी। ब्रिटिश शासन ने 1927 में इंग्लैंड की संसद में इंडियन चर्च एक्ट पारित किया। इंडियन चर्च एक्ट 1927 के द्वारा ब्रिटिश कालोनी में स्थापित एंग्लिकन चर्च का विभाजन कर इसे एक स्वाधीन चर्च की मान्यता दी गई।
ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम ने इसे मान्यता देते हुए 11 जून 1929 को चार्टर निगमित कर दिया। उस चार्टर, को भारत में 20 जुलाई 1929 को शिमला में राजपत्रित किया गया। उन्होंने कहा कि सम्राट जार्ज पंचम द्वारा एक नियमावली भी निर्गत हुई जिसके अनुसार इंडियन चर्च ट्रस्टीज को एंग्लिकन चर्च की संपत्ति के संरक्षण का दायित्व व स्वामित्व प्राप्त हो गया। इंडियन चर्च ट्रस्टीज को चर्च ऑफ इंडिया की जनरल काउंसिल के अधीन रखा गया, तब से इंडियन चर्च ट्रस्टीज के सदस्य चर्च ऑफ इंडिया की संपत्ति का संचालन करते आ रहे हैं। ऑगस्टीन ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने संपत्ति को इंडियन चर्च ट्रस्टीज में निहित कर दिया। उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन बेची जा रही है। डायोसिस और सीएनआइ दोनों चुप
विगत एक सप्ताह से चर्च ऑफ इंडिया लगातार सीएनआइ के कामकाज और छोटानागपुर डायोसिस के खुद के स्वतंत्र घोषित करने पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन न तो सीएनआइ और न ही छोटानागपुर डायोसिस कुछ जवाब दे रहा है। दोनों के ही अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं। सीएनआइ द्वारा छोटानागपुर डायोसिस के मोडरेटर बनाये गए पादरी जोलजस कुजूर ने बस इतना ही कहा कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम बंद हो। इससे कहीं न कहीं चर्च की बदनामी हो रही है।

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