Jharkhand: डीजीपी अजय सिंह बोले-झारखंड में लास्ट स्टेज पर नक्सल समस्या, लॉ एंड ऑर्डर में सुधार मेरी प्राथमिकता
झारखंड के डीजीपी ने कहा कि झारखंड में नक्सली समस्या जो कुछ बचा है उससे निपटने की जरूरत है। हमारे पास इसे करने के लिए पर्याप्त मैन पॉवर और कुशलता है। हम नक्सल समस्या और कम करने में सक्षम होंगे।

रांची, पीटीआई। झारखंड में नक्सल समस्या से निपटने के लिए सुरक्षा जवान लगातार ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं। पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह ने रविवार को कहा कि झारखंड में नक्सल समस्या अपने अंतिम चरण में है, क्योंकि सुरक्षा बलों ने इस खतरे का सफाया करने के लिए लगातार नक्सिलयों के ठिकानों पर हमला कर रहे हैं।
अजय कुमार सिंह ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा कि हाल ही में सुरक्षा बलों ने झारखंड में 'नक्सल हॉटबेड एंड ट्रेनिंग सेंटर' के रूप में चर्चित बुद्धा पहाड़ को अपने कब्जे में ले लिया है। इस बुद्धा पहाड़ पर तीन दशक से नक्सलियों का कब्जा था।
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में नक्सली समस्या अपने अंतिम चरण में है। जो कुछ बचा है, उससे निपटने की जरूरत है। हमारे पास इसे करने के लिए पर्याप्त मैन पॉवर और कुशलता है। हम नक्सल समस्या और कम करने में सक्षम होंगे।
पुलिस थाने को लेकर ना हो डर, यही कोशिश
सिंह ने आगे कहा कि पुलिस स्टेशन तक आम जनता की पहुंच पुलिस तक बिना किसी परेशानी के हो। मेरी कोशिश रहेगी कि पुलिस थाने को लेकर डर पैदा न हो, बल्कि इसे एक सपोर्ट सिस्टम के रूप में देखा जाए। इससे काम में सुधार होगा।
अजय सिंह 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं। उन्होंने इस महीने यानी फरवरी की शुरुआत में झारखंड के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है।
डीजीपी ने सिटी पुलिसिंग, कम्युनिटी पुलिसिंग और मानवीय संवेदनाओं वाली पुलिसिंग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 'ये मेरे प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं। हम कम्युनिटी पुलिसिंग शुरू कर सकते हैं और महिलाओं के खिलाफ अपराध की जांच, वृद्धों को सहायता पर ध्यान देना चाहिए। मेरा प्रयास कम्युनिटी पुलिसिंग के माध्यम से जनता में विश्वास पैदा करना होगा।
सिंह ने बताया कि पिछले तीन साल में नक्सली रीजनल समिति के सदस्यों, जोनल, सब जोनल और एरिया कमांडरों सहित कुल 31 नक्सलियों को मार गिराया गया, जबकि पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्यों सहित 1,319 को गिरफ्तार किया गया। नक्सलवाद से प्रभावित मुख्य क्षेत्रों में 44 नए फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए गए।
राज्य की कानून व्यवस्था में सुधार लाना प्राथमिकता
उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता न केवल नक्सल समस्या बल्कि राज्य में समग्र कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार करना है। साथ ही संगठित अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके अपराध में कमी लाना है।
झारखंड में मॉब लिंचिंग और महिलाओं को डायन बताने को लेकर सवाल पर डीजीपी ने कहा कि आपराधिक दृष्टिकोण के अलावा एक सामाजिक पहलू भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। अगर जागरूकता हो तो इस तरह की चीजों को कम किया जा सकता है। हम स्थानीय लोगों, गांव के बुजुर्गों और समुदाय के अन्य नेताओं को भी भरोसे में लेंगे।
बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले महीने कब्जा किए गए 'नक्सल हॉटबेड एंड ट्रेनिंग सेंटर' बुद्धा पहाड़ का दौरा किया था, जिसे तीन दशक से अधिक के नक्सल प्रभुत्व के बाद संयुक्त सुरक्षा बलों ने कब्जा कर लिया था।
सीआरपीएफ की कोबरा (कमांडो बटालियन ऑफ रिजॉल्यूट एक्शन) यूनिट के संयुक्त सुरक्षा बलों ने 'ऑक्टोपस', 'डबल बुल' और 'थंडरस्टॉर्म' नामक एक लंबे ऑपरेशन में झारखंड के गढ़वा और लातेहार में 'बुढ़ा पहाड़' को मुक्त कराने में कामयाबी हासिल की थी।

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