डीजेएन कंपनी के नाम पर जीतेंद्र ने की 200 करोड़ की ठगी

भुक्तभोगियों ने बताया था कि डीजेएन कमोडिटीज के नाम पर एक कंपनी करीब 2010 से झारखंड में शुरू हुई।

By Edited By: Publish:Sun, 17 Jun 2018 09:29 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jun 2018 10:08 AM (IST)
डीजेएन कंपनी के नाम पर जीतेंद्र ने की 200 करोड़ की ठगी
डीजेएन कंपनी के नाम पर जीतेंद्र ने की 200 करोड़ की ठगी

रांची, जेएनएन। लालपुर थाना के दो सौ करोड़ की ठगी मामले के नामजद आरोपित जीतेंद्र मोहन सिन्हा (45) की मौत बिहार के आरा के सदर अस्पताल में इलाज के दौरान 15 जून को हो गई। मृतक विचाराधीन बंदी मूल रूप से बिहार के लोदी कटरा, पटना सिटी निवासी कामनी मोहन सिन्हा का पुत्र था। झारखंड के रांची स्थित पंचवटी में भी परिवार रहता था। वह करीब नौ महीने से आरा जेल में बंद था। उसने डीजेएन कमोडिटीज कंपनी के नाम पर लोगों से दो सौ करोड़ की ठगी की थी। फिलहाल इस मामले की जांच हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ कर रही है।

लालपुर पुलिस ने हंगामे के बाद 20 जुलाई, 2016 को जीतेंद्र को गिरफ्तार किया था। तीन अन्य सहयोगी भी पकड़े गए थे। जीतेंद्र पहले झारखंड के जेलों में बंद था। नौ सिंतबर 2017 को लातेहार की जेल से आरा भेजा गया था।

पुलिस की छानबीन में ये तथ्य आए सामने
- कुल ग्राहक : 15328
- ग्राहक जिन्हें वादा के अनुसार लाभ दिया : 8207
- ग्राहक जिनका खाता अभी सक्रिय था : 7121
- ग्राहकों को निर्धारित ब्याज के साथ वापस की गई राशि : 78 करोड़, 77 लाख, 33 हजार रुपये।
- कुल ग्राहकों से ली गई राशि : 125 करोड़, 87 लाख, 62 हजार रुपये।
- ग्राहकों की कुल राशि जो अब भी डीजेएन के पास है : 46 करोड़, 77 लाख 94 हजार रुपये।
- ग्राहकों को कुल देनदारी : 88 करोड़, 45 हजार, 82 रुपये।

मास्टर माइंड था जीतेंद्र
लालपुर के दो सौ करोड़ की जालसाजी मामले का मास्टर माइंड जीतेंद्र था। उसने पुलिस को बताया था कि पटना में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी कर दिल्ली गया। दिल्ली में बैंक को चूना लगाया और भागकर उत्तर प्रदेश पहुंचा। वहा से डालटनगंज जाकर एक एनजीओ के माध्यम से पहले लोगों को जोड़ना शुरू किया और फिर डीजेएन कमोडिटीज नाम से कंपनी खोलकर दो करोड़ रुपये से अधिक की जालसाजी की थी।

ऐसे की थी ठगी
भुक्तभोगियों ने बताया था कि डीजेएन कमोडिटीज के नाम पर एक कंपनी करीब 2010 से झारखंड में शुरू हुई। कंपनी के पदाधिकारियों ने फोन कॉल्स कर लोगों को अपने जाल में फासना शुरू किया। विभिन्न शहरों में अपनी शाखाएं खोलकर बड़े-बड़े होटलों में बैठकों में बुलाता और उन्हें अपने जाल में फंसाता था। कंपनी ने लालच दिया कि उसका बड़ा-बड़ा व्यवसाय है। निवेशकों को प्रतिमाह तीन से दस प्रतिशत तक ब्याज मिलेगा। इसी लालच में सभी फंस गए और गाढ़ी कमाई लगा डाली।

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