बिजली व्यवस्था चरमराई, लोगों में बढ़ा आक्रोश

बिजली की बेवफाई देख, अंधेरों से समझौता करना सीख गया हूं, किस पर यकीन करूं, अब तो लालटेन ने भी साथ देना छोड़ दिया है..। जी हां, बिजली के हालत कुछ ऐसे हो चले हैं कि लोगों का बड़ी तेजी से हृदय परिवर्तन होने लगा है। कोई शायर बनकर अपनी व्यथा बयां कर रहा हैं तो कोई कविता गढ़कर। राजनीति से दूर निजी ¨जदगी से व्यस्त रहनेवालों को भी राजनीति समझ में आने लगी है। सोशल मीडिया पर सत्तासीन जनप्रतिनिधियों व हुक्मरानों को जगाने के लिए सत्ता पर कटाक्ष करती ऐसे शायरी व कविताओं की भरमार है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 07:51 PM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 10:42 PM (IST)
बिजली व्यवस्था चरमराई, लोगों में बढ़ा आक्रोश
बिजली व्यवस्था चरमराई, लोगों में बढ़ा आक्रोश

कोडरमा: बिजली की बेवफाई देख, अंधेरों से समझौता करना सीख गया हूं, किस पर यकीन करूं, अब तो लालटेन ने भी साथ देना छोड़ दिया है..। जी हां, बिजली के हालत कुछ ऐसे हो चले हैं कि लोगों का बड़ी तेजी से हृदय परिवर्तन होने लगा है। कोई शायर बनकर अपनी व्यथा बयां कर रहा हैं तो कोई कविता गढ़कर। राजनीति से दूर निजी ¨जदगी से व्यस्त रहनेवालों को भी राजनीति समझ में आने लगी है। सोशल मीडिया पर सत्तासीन जनप्रतिनिधियों व हुक्मरानों को जगाने के लिए सत्ता पर कटाक्ष करती ऐसे शायरी व कविताओं की भरमार है। वहीं इस तरह के ट्वीट पर व्यवस्था के प्रति जहर उगलनेवाले कमेंट भी लोगों की तकलीफ को बयां कर रहा है। इधर, जनमानस के बढ़ते आक्रोश से सत्तासीन जनप्रतिनिधियों भले ही बेफिक्र हैं, लेकिन समर्थकों की ¨चता स्वभाविक रूप से बढ़ी है। क्योंकि ऐसे माहौल में अच्छे दिन की डफली का राग बेसुरा हो गया है। अच्छे दिन का दावा करनेवालों की घर में ही किरकिरी हो जा रही है। 16-17 घंटे बिजली की कटौती पिछले 25 सालों में शायद कभी देखने को नहीं मिली थी। लालटेन ने भी ऐसे मौके पर साथ देना छोड़ दिया है, क्योंकि केरोसिन भी 60 रुपये पहुंचने के बाद लालटेन भी लोगों का सहारा नहीं बन पा रहा है। वहीं ऐसे हालात में भी गले में लालटेन टांगनेवालों की चुप्पी भी लोगों को खूब अखर रही है और लोग खुद को तन्हा महसूस कर रहे हैं। सनद हो कि पिछले करीब दो माह से बिजली की हालत ने लोगों को रुलाकर रख दिया है। उमस भरी इस गर्मी में बिजली की इस बदतर हालत के कारण घर-परिवार में कलह बढ़ रहा है। रातों की नींद व दिन का चैन गायब होने से लोग तनाव में रह रहे हैं। सबसे खराब स्थिति कामकाजी महिलाओं की हो रही है। सनद हो कि जेबीवीएनएल पर डीवीसी का भारी भरकम बकाया को लेकर डीवीसी प्रतिदिन 8 घंटे बिजली की कटौती कर रहा है। वहीं मेंटेनेंस के नाम पर भी 8-10 घंटे अलग से बिजली की कटौती हो रही है। ऐसे में शहर के लोगों को हर माह बिजली का पूरा बिल भुगतान करने के बाद भी बमुश्किल 8 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। इस हालत में लोगों के इनवर्टर भी जवाब दे रहे हैं। दूसरी ओर बिजली की बदतर हालत की बिजली से पेयजल की आपूर्ति भी नगण्य हो गई है। चार-पांच दिनों के बाद अलग-अलग इलाकों में पांच-दस मिनट के लिए पानी की आपूर्ति हो रही है। ऐसे में दोहरी समस्या झेलने को विवश लोगों के पास नियति व हुक्मरानों को कोसने के बजाय कोई रास्ता भी नहीं बचा है।

chat bot
आपका साथी