मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड वितरण करने की तैयारी

ंवाद सहयोगी मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) संस्थागत प्रसव व सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग ने गर्भवती महिलाओं को मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड जारी करने की तैयारी लगभग पूरी कर लिया है। नवंबर महीने में नारायणपुर प्रखंड के सभी गांव की गर्भवती महिलाओं को महिला स्वास्थ्य कर्मी व सहिया के सहयोग से मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड उपलब्ध

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Oct 2019 07:20 PM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 06:22 AM (IST)
मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड वितरण करने की तैयारी
मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड वितरण करने की तैयारी

संवाद सहयोगी, मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : संस्थागत प्रसव व सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग ने गर्भवती महिलाओं को मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड जारी करने की तैयारी लगभग पूरी कर लिया है। नवंबर महीने में नारायणपुर प्रखंड के सभी गांव की गर्भवती महिलाओं को महिला स्वास्थ्य कर्मी व सहिया के सहयोग से मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। यह कार्ड प्रखंड क्षेत्र के साढ़े छह हजार गर्भवती महिलाओं के बीच वितरित किया जाएगा। यह जानकारी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अरविद कुमार दास ने दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मातृ शिशु मृत्यु दर को शून्य करने के लिए एक से बढ़कर एक प्रभावी कदम उठा रही है। क्षेत्र में पहले की अपेक्षा इसमें काफी कमी आई है। विभाग की योजना है कि इसे शून्य तक पहुंचाया जाय। स्वस्थ विभाग ने बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए जन्म से लेकर डेढ़ वर्ष तक की उम्र तक करीब 30 हजार रुपये का टीकाकरण करता है। अभी जो महत्वपूर्ण टीका बच्चों को दिए जाते हैं उनमें से टीवी रोग से बचाने के लिए बीसीजी का टीका दिया जाता है। हेपेटाइटिस बी से बचाने के लिए हेप बी का टीका दिया जाता है। पोलियो रोग से बचाने के लिए ओपी भी व आईपी भी दो प्रकार की टीका आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाती है। बच्चों को काली खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस डीब इंफेकशन से बचाने के लिए पेंटा नामक टीका लगाया जाता है। वहीं दस्त जैसे रोग से बचाने के लिए रोटा नामक टीका तीन बार दिया जाता है। खसरा व रूबेला रोग से बचाने के लिए बच्चे को एक बार नौ माह के उम्र में व दूसरे बार डेढ़ वर्ष के उम्र में एमआर वैक्सीन लगाया जाता है। बच्चों को दिमागी बुखार डिपथेरिया नामक बीमारी नहीं हो उसके लिए जेईई व डीपीटी लगाए जाते हैं।

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