Weekly News Roundup Jamshedpur : प्रखंड कार्यालय बिकता है, बोलो खरीदोगे,पढ़ि‍ए नौकरशाही की दुनिया की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur daphtar daphtar. प्रखंड व अंचल कार्यालय भी बिकता है बोलो खरीदोगो। आश्चर्य में पड़ गए ना। अगर आप खरीदने की हसरत पाल बैठे हो तो देर मत कीजिए।

By Edited By: Publish:Mon, 30 Mar 2020 09:17 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2020 09:27 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur :  प्रखंड कार्यालय बिकता है, बोलो खरीदोगे,पढ़ि‍ए नौकरशाही की दुनिया की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : प्रखंड कार्यालय बिकता है, बोलो खरीदोगे,पढ़ि‍ए नौकरशाही की दुनिया की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। Weekly News Roundup Jamshedpur  प्रखंड व अंचल कार्यालय भी बिकता है, बोलो खरीदोगो। आश्चर्य में पड़ गए ना। अगर आप खरीदने की हसरत पाल बैठे हो तो फिर देर मत कीजिए। गम्हरिया के प्रखंड सह अंचल कार्यालय की दौड़ लगाइए।

ठीक गेट पर एक पोस्टर लगा है, प्लॉट फॉर सेल। पोस्टर लगाने वाला तो महान है, लेकिन उनसे ज्यादा महान तो प्रखंड कार्यालय के सीओ व बीडीओ है। जो दिन में दस बार इस गेट से अंदर-बाहर करते हैं, लेकि न उनकी नजर नहीं पड़ती है। आग लगी है तो धुआं भी उठेगा। जितने मुंह, उतनी बातें। कोई कह रहा है साहब का ही प्लॉट है तो कोई कह रहा है साहब के रिश्तेदार का है। अब साहब ही जाने, मामला क्या है। हम तो आम लोग है। कुछ भी कह सकते हैं। प्लॉट वाले को ग्राहक नहीं मिल रहा है। कोरोना का रोना है। आपका काम सोचना है, सिर्फ सोचते रहिए। प्लॉट बिकवाते रहिए।

अतिथि तुम अभी मत आना भा

रतीय संस्कृति में अतिथि को देवतुल्य माना गया है। लेकिन कोरोना ने अपनों को दूर कर दिया है। सरकारी दफ्तर बंद है। साहब घर में दुबके हुए हैं। दिन भर भगवान से यही दुआ मना रहे हैं कोई अतिथि घर पर ना धमक जाए। इसलिए सुबह-शाम वाट्सएप पर संदेश भेजना भी बंद कर दिया। ताकि उन्हें हमारा ख्याल ना आए। पता नहीं, कब कोई धमक जाए और कोरोना हमारे घर पर भी कहर बनकर टूट जाए। सामाजिक दूरी बनाए बैठे है। घर में बीवी अलग धमकी दे रही है, किसी बाहर वाले को बुलाया तो खैर नहीं। पहले तो घर से बाहर निकलो ही मत। अगर निकल भी गए तो गेस्ट रूम में सोना है। घर के अंदर आना मना है। दफ्तर में शेखी बघारने वाले साहब आज घर में भींगी बिल्ली बने बैठे हैं। लॉकडाउन का अभी पांचवां दिन ही है। अभी तो घर में लंबा समय गुजारना है।

कोरोना ने पुलिस को बनाया सोशल

जब मास्टर साहब खिचड़ी बांट सकते हैं, तो पुलिस यह काम क्यों नहीं कर सकती। अजी पुलिस क्या नहीं कर सकती। आप मौका तो दीजिए। बीच में सोशल पुलि¨सग का भी प्रचलन बढ़ा था, लेकिन आदत के अनुरुप व्यवस्था नहीं होने से इसे बंद कर दिया गया। अब कोरोना महामारी को लेकर देश भर में लॉकडाउन हो गया है। इसमें वायरस का संक्रमण रोकने के लिए डाक्टर से कम पुलिस की भूमिका नहीं है, लेकिन ज्यादा डंडा चलाने की शिकायत मिलने पर पुलिस की भूमिका बदलने का फरमान हुआ। कहा गया कि आप खाली डंडा चलाएंगे तो कल समाज में कैसे जाएंगे। मास्टर-डाक्टर पर भी लाठी चला दे रहे हैं, तो आपके बच्चे को कौन पढ़ाएगा। कुछ तो अक्ल लगाइए। मानवता दिखाइए। डॉक्टर को परेशान कीजिएगा तो आपका व आपके परिवार इलाज कौन करेगा। अब आप मास्क पहनिए और डंडा छोड़कर खिचड़ी बांटिए। सोशल पुलि¨सग भी कुछ है कि नहीं।

दफ्तर बंद होने से मिला आराम

लॉकडाउन में अब तक आम लोग ही घर में बंद थे। इससे सफाई वालों और कामवाली बाई को पहली बार बिना किचकिच के छुट्टी मिली है। बड़े दिनों बाद सरकारी दफ्तर बंद करने की घोषणा हुई है। आपको अंदाजा नहीं होगा कि इससे कितनों ने सुकून की सांस ली होगी। सबसे पहला तो चौकीदार, उसे अब बार-बार या सुबह-शाम गेट खोलने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी। इसलिए अब वह घर पर ही रहेगा। दूसरा आफिस में झाड़ू-पोछा लगाने वालों को भी छुट्टी मिल गई। जब आफिस ही नहीं खुलेगा, तो सफाई किसके लिए करेंगे। बोलेगा भी कौन। उस चाय वाले को भी आराम मिल गया, जो दिन में दस-बीस बार चाय लेकर आफिस-आफिस पहुंचाता था। चाय की दुकान तो अब भी खुल रही है, लेकिन एक बड़े दफ्तर में चाय पहुंचाने के झंझट से मुक्ति मिली। हमेशा साहब कुर्सी तोड़ते नजर आते थे। चाहकर भी ऐसे दिन नहीं आते साहब।

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