जीएसटी में 37 करोड़ का फर्जीवाड़ा

पूर्वी सिंहभूम जिला में एक नए किस्म के 37 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस कारण विभाग भी सकते में है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 May 2018 11:01 AM (IST) Updated:Tue, 29 May 2018 11:01 AM (IST)
जीएसटी में 37 करोड़ का फर्जीवाड़ा
जीएसटी में 37 करोड़ का फर्जीवाड़ा

जासं, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले में एक नए किस्म के 37 करोड़ के फर्जीवाड़े ने झारखंड राज्य कर विभाग की नींद हराम कर दी है। इसका शातिर कौन है? विभाग यह पता लगाने में नाकाम है। सोमवार को विभाग ने शहर के बिष्टुपुर थाने में अंकित शर्मा नामक एक व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें फर्जी दस्तावेज-कागजात के आधार पर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।

जमशेदपुर अंचल में पदस्थापित कर पदाधिकारी सुनील कुमार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि अंकित शर्मा नामक व्यक्ति ने कृष्णा इंटरप्राइजेज के नाम से जीएसटीएन आइडी लिया है। वह इसी नंबर के आधार पर न केवल 'ई-वे बिल' (रोड परमिट) जारी करता था, बल्कि जीएसटी रिटर्न भी दाखिल करता था। इस नंबर के माध्यम से करोड़ों रुपये के माल का कारोबार किया गया। विभाग के अधिकारी जब अंकित शर्मा के पता बिरसानगर, जोन 1-बी स्थित मकान संख्या 789 में गए तो वहां एक महिला मिली। उसने बताया कि वह इस नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानती। इसके बाद जब उसका आधार कार्ड और पैन कार्ड खंगाला गया तो वह भी फर्जी मिला। यही नहीं, वस्तु एवं सेवा कर निबंधन (जीएसटीएन) में दर्शाया गया बैंक खाता भी फर्जी निकला। इससे विभाग को यह भी पता नहीं चल सका है कि अंकित शर्मा नामक कोई व्यक्ति है भी कि नहीं। इसे सरकारी राजस्व के खिलाफ गंभीर अपराध मानते हुए विभाग ने पुलिस को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है।

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ऐसे सामने आया मामला

झारखंड राज्य कर विभाग के जमशेदपुर प्रमंडल को इस फर्जीवाड़े की जानकारी दिल्ली स्थित जीएसटी मुख्यालय से मिली। विभाग के संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) संजय कुमार प्रसाद ने बताया कि जीएसटी का निबंधन से लेकर सारा लेन-देन ऑनलाइन होता है। दिल्ली मुख्यालय से सूचना मिली कि जमशेदपुर निवासी एक व्यापारी ने करोड़ों रुपये का कारोबार किया है। सैकड़ों ई-वे बिल भी जारी किए हैं। इसके एवज में सरकार के खजाने में एक रुपये का भी राजस्व नहीं मिला है, लिहाजा वसूल किया जाए। जीएसटी के पोर्टल पर अंकित शर्मा के नाम से जो दस्तावेज डंप मिले, उसके मुताबिक उस पर करीब 37 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। यह फर्जीवाड़ा जुलाई से नवंबर 2017 के बीच किया गया है, जिसमें लोहे का सरिया से लेकर अलग-अलग माल का कारोबार किया गया है।

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ऐसे आरोपित तक पहुंचेगी पुलिस

विभाग इस बात से आश्वस्त है कि पुलिस अंकित शर्मा के नाम से फर्जीवाड़ा करने वाले को खोज लेगी। इस नाम से जीएसटी के ई-वे बिल जिन ट्रकों के लिए जारी किए गए हैं, उनमें से एकाध ट्रक पकड़ लिए गए तो पूरा खेल सामने आ सकता है। चूंकि चेक नाकों पर ई-वे बिल और ट्रक का नंबर मिलान करने के बाद ही छोड़ा जाता है। संभव है कि कुछ ट्रकों के नंबर भी गलत दर्ज किए गए हों, लेकिन माल के परिवहन जिन रास्तों से किए गए हैं, उन्हें खंगालने से मामले का खुलासा हो सकता है। संभव है कि इसमें थोड़ा वक्त लगे, लेकिन पकड़ना बहुत मुश्किल भी नहीं है।

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कोट

वैट के समय कागजी काम होते थे, इसलिए इस तरह के फर्जीवाड़े आम होते थे। आरोपित पकड़े भी जाते थे, लेकिन जीएसटी में ऐसा मामला पहली बार सामने आया है।

- संजय कुमार प्रसाद, संयुक्त आयुक्त, जमशेदपुर प्रमंडल (झारखंड राज्य कर विभाग)

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