हाईब्रिड श्वानों को नहीं होगा कोरोना, 25 वर्षों से लग रही वैक्सीन

इंसान भले ही मार्च 2020 के बाद से कोविड 19 जैसे वायरस से परिचित हुआ हो लेकिन हाईब्रिड वैसे श्वान (डॉग) जिन्हें नियमित रूप से वैक्सीन लग रही है उन्हें वायरस का खतरा नहीं है। क्योंकि पिछले 25 वर्षों से उन्हें कोरोना वायरस की वैक्सीन दी जा रही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 05:42 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 05:42 PM (IST)
हाईब्रिड श्वानों को नहीं होगा कोरोना, 25 वर्षों से लग रही वैक्सीन
कोविड 19 में सबसे ज्यादा हाईब्रिड श्वान ही बेघर हुए हैं।

निर्मल प्रसाद, जमशेदपुर। इंसान भले ही मार्च 2020 के बाद से कोविड 19 जैसे वायरस से परिचित हुआ हो लेकिन हाईब्रिड वैसे श्वान (डॉग) जिन्हें नियमित रूप से वैक्सीन लग रहा है उन्हें वायरस का खतरा नहीं है। क्योंकि पिछले 25 वर्षों से उन्हें कोरोना वायरस की वैक्सीन दी जा रही है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक कोई भी वायरस पांच चरणों में आता है। पहले तीन चरण मनुष्य को प्रभावित करेंगे और शेष दो चरण मवेशियों व जानवरों को प्रभावित करेंगे। लेकिन श्वानों को पहले से ही कोविड 19 की वैक्सीन दी जा रही है। ये रिपोर्ट इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि स्ट्रीट एनिमल रेस्क्यू कमेटी (सार्क) की रिपोर्ट के अनुसार कोविड 19 में सबसे ज्यादा हाईब्रिड श्वान ही बेघर हुए हैं। परिवार में यदि कोई कोविड पॉजिटिव हुआ तो घरवाले अपने श्वान को इसलिए किसी सुनसान जगह या राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाकर छोड़ आते हैं कि संक्रमण की वजह ये श्वान ही है।

मनुष्य-श्वान के कोविड वायरस अलग-अलग : डा. वीके सिंह

लौहनगरी में श्वानों के डाक्टर वीके सिंह का कहना है कि मनुष्य और श्वान को होने वाले कोविड 19 वायरस अलग-अलग हैं। मनुष्य को आने वाले वायरस सिवियर एक्यूट रेसपेरेट्री सिंड्रोम (एसएआरएस) है जो हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है। जबकि श्वान को होने वाले कोरोना वायरस उनके आंत को प्रभावित करता है इसलिए दोनों के वायरस अलग-अलग हैं और क्रॉस लिंक्ड नहीं है। यानि श्वान का वायरस मनुष्य को और मनुष्य का वायरस श्वान को नहीं हो सकता है।

श्वानों को हर साल लगती है कोविड की वैक्सीन

डा. वीके सिंह के अनुसार श्वानों को सबसे ज्यादा डिस्टेम्पर (शरीर का कांपना) और पारभो वायरस (खून का मल व उल्टी) संबधी बीमारी सबसे ज्यादा होती है। ऐसे में सभी श्वानों को 42 दिन की उम्र में उसका पहला वैक्सीन दिया जाता है। इसमें बाद 56 दिन, 70 दिन और 90 दिन में रेबिज सहित कोविड 19 के लिए 11 एन 1 वैक्सीन दिया जाता है। 14 से 21 दिन के बाद फिर से श्वानों को बूस्टर वैक्सीन दिया जाता है और यह वैक्सीन उन्हें जीवित रहने तक हर साल दिलाना पड़ता है। हालांकि अमेरिका में एक शेर में कोविड 19 का लक्ष्ण मिलने के बाद दूसरा कोई मामला सामने नहीं आया है।

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