जब कीनन में झल्ला गए थे अजीत वाडेकर

भारतीय क्रिकेट के पुरोधा कहे जाने वाले अजीत वाडेकर का बुधवार को मुंबई में निधन में हो गया। वे जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में खेल चुके थे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Aug 2018 05:36 PM (IST) Updated:Thu, 16 Aug 2018 05:36 PM (IST)
जब कीनन में झल्ला गए थे अजीत वाडेकर
जब कीनन में झल्ला गए थे अजीत वाडेकर

जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : भारतीय क्रिकेट के पुरोधा कहे जाने वाले अजीत वाडेकर का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। अजीत वाडेकर कीनन स्टेडियम में भी अपनी बल्लेबाजी का जलवा बिखेर चुके हैं।

एक से चार मार्च 1973। कीनन में बिहार (अब झारखंड) व बंबई (अब मुंबई) के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मुकाबला। यह यादगार मुकाबला इसलिए भी याद रखा जाएगा कि इस मैच में बिहार ने शक्तिशाली बंबई के खिलाफ पहली पारी में जब बढ़त ली थी तो मेजबान टीम के कप्तान अजीत वाडेकर काफी झल्ला गए थे। उन्होंने अपने साथियों से कहा कि हम बंगाल को मात दे सकते हैं तो बिहार को क्यों नहीं।

हालांकि, बंबई की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी। सलामी बल्लेबाज आरडी पार्कर व सुनील गावस्कर बिना खाता खोले पेवेलियन लौट गए थे। सुधीर दास ने पार्कर को तथा एस राय ने गावस्कर को आउट किया था। बंबई के एसएस नाइक ने 73 रन व कप्तान अजीत वाडेकर ने 64 रन की शानदार अ‌र्द्धशतकीय पारी खेली थी। बंबई की पहली पारी 52.2 ओवर में 200 रन पर सिमट गई थी। बिहार की ओर से गेंदबाजी करते हुए राहुल शुक्ला ने चार विकेट लिए थे, वहीं सुधीर दास व एस राय को दो-दो विकेट मिला था।

जवाबी पारी खेलने उतरी बिहार ने 302 रन बनाकर मेजबान बंबई के खिलाफ बढ़त ले ली। तिलकराज ने 122 रन की बेहतरीन शतकीयपारी खेली थी, वहीं अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट रमेश सक्सेना ने 71 रन की पारी खेली थी। तड़ित घोष ने 35 रन बनाए थे। मुंबई की ओर से करशन घावड़ी, एकनाथ सोलकर व आरपी टंडन को दो-दो विकेट मिले थे। मैच के दौरान टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक बिहार के खिलाड़ियों का हौसलाअफजाई करने के लिए मैदान में चारों दिन मौजूद थे।

दूसरी पारी में बंबई ने वापसी की। सलामी बल्लेबाज पार्कर (58) व सुनील गावस्कर (22) ने अच्छी शुरुआत की। वहीं अजीत वाडेकर ने भी 44 रन की बेहतरीन पारी खेली। मिलिंद रेगे ने 57 रन बनाए थे। अंतिम पारी में बिहार को जीत के लिए 181 रन का लक्ष्य मिला, लेकिन टीम 122 रन पर ही सिमट गई। दलजीत सिंह ने सर्वाधिक 42 रन बनाए।

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अजीत वाडेकर भारतीय क्रिकेट के पुरोधा थे। वह देश में ही नहीं, बल्कि विदेशी धरती पर पर अपनी बल्लेबाजी का परचम लहरा चुके थे। उनके निधन से भारतीय क्रिकेट को अपूरणीय क्षति हुई है।

-बीएन सिंह, उपाध्यक्ष, झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन

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अजीत वाडेकर भारतीय एकदिवसीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान थे।उन्होंने हालाकि दो मैच ही खेले। हालांकि चयन समिति के सदस्य के रूप में उन्होंने लंबा योगदान दिया।

-जीतू पटेल, पूर्व रणजी खिलाड़ी

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घरेलू क्रिकेट में भी अजीत प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। उन्होंने 1966-67 के रणजी ट्रॉफी मैच में 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर मैसूर के विरुद्ध बनाया था। वह स्टाइलिश बल्लेबाज थे।

-मनोज यादव, पूर्व रणजी खिलाड़ी

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