धूमधाम से मना सीसीएल डीएवी का वार्षिक उत्सव

- बच्चों ने दी आकर्षक प्रस्तुति मोहा लोगों का मन गीत-नृत्य के माध्यम से दिया पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का संदेश जागरण संवाददाता

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Feb 2020 07:39 PM (IST) Updated:Sun, 09 Feb 2020 07:39 PM (IST)
धूमधाम से मना सीसीएल डीएवी का वार्षिक उत्सव
धूमधाम से मना सीसीएल डीएवी का वार्षिक उत्सव

गिरिडीह : सीसीएल डीएवी में रविवार को धूमधाम से वार्षिकोत्सव अंकुरण मनाया गया, जिसमें स्कूल के बच्चों ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर उपस्थित सैकड़ों लोगों का मन मोह लिया। छोटे-छोटे बच्चों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का संदेश दिया। इसके अलावा शिव शक्ति नृत्य, अंग्रेजी गान, गुजराती नृत्य, जुगल बंदी, पिता की भावनाओं पर आधारित नृत्य, महिला सशक्तिकरण नृत्य, स्वच्छता एवं संग्राम पर आधारित लघु नाटिका आदि प्रस्तुत कर बच्चों ने खूब तालियां बटोरी। इसके पूर्व मुख्य अतिथि महाप्रबंधक पी वाजपेयी, पीओ विनोद कुमार, झारखंड जोन डी की क्षेत्रीय निदेशक डीएवी सीसीएल की मैनेजर डा. उर्मिला सिंह, प्राचार्य बीपी राय सहित अन्य अतिथियों ने समारोह का उद्घाटन किया।

मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले तस्कीन सबा, मानस कुमार, शोएब, रूपाली कुमारी, रौशन राज, मोमिता बनर्जी, श्रेया चतुर्वेदी आदि छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी पुरस्कृत किया गया।

मुख्य अतिथि ने छात्रों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की प्रशंसा की। प्राचार्य बीपी राय की दूरदर्शी सोच की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी देखरेख में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का चहुमुखी विकास होना निश्चित है। क्षेत्रीय निदेशक डॉ. सिंह ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से बच्चों का आंतरिक एवं बाह्य दोनों रूपों का विकास होगा। यह प्राचार्य के कुशल नेतृत्व क्षमता का परिचायक है।

पीओ कुमार ने कहा कि शिक्षा एक ऐसा यंत्र है जो बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनाएगी। प्राचार्य राय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए स्कूल की उपलब्धियों को गिनाया। उप प्राचार्य एचजी तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में सीसीएल के एरिया फाइनेंस मैनेजर बीसी राय, पूर्व प्राचार्य भैया अभिनव कुमार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं का योगदान रहा।

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