तीन दशक से राजनीतिक हत्या का सिलसिला

चतरा : चतरा जिला में पिछले तीन दशिक से राजनीति हत्या का सिलसिला चला आ रहा है। यहां के र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Jan 2018 05:40 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jan 2018 05:40 PM (IST)
तीन दशक से राजनीतिक हत्या का सिलसिला
तीन दशक से राजनीतिक हत्या का सिलसिला

चतरा : चतरा जिला में पिछले तीन दशिक से राजनीति हत्या का सिलसिला चला आ रहा है। यहां के राजनीतिक कार्यकर्ता और नेता हमेशा से उग्रवादियों व अपराधियों के निशाने पर रहे हैं। इसमें अब तक चार दर्जन से अधिक की जान जा चुकी है। इनमें कुछ को उग्रवादियों ने, कुछ की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी में, तो कुछ को रास्ता का रोड़ा समझ कर हटाया गया और कुछ की जान अपराधियों ने अनजाने में ले ली। दो अक्टूबर 1992 को प्रतापपुर के टंडवा गांव में जनता दल के श्रमिक कोषांग का प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सहदेश यादव अंगार और उनके दो भाइयों की हत्या की गई थी। यहीं से राजनीतिक हत्या का सिलसिला शुरू हुआ। वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में प्रतापपुर थाना क्षेत्र में तत्कालीन एमसीसी और वर्तमान की भाकपा माओवादियों ने माकपा उम्मीदवार संतु दास की निर्मम हत्या कर दी थी। उनके साथ उनका अंगरक्षक भी मारा गया था। इस कारण चतरा विधानसभा का चुनाव स्थगित कर दिया गया था। इस घटना के करीब एक वर्ष बाद छह सितंबर 1996 को तत्कालीन एमसीसी के उग्रवादियों ने ही आमकुदर नरसंहार की घटना को अंजाम दिया था। इसमें भाकपा माले के एक दर्जन नेता और कार्यकर्ता मारे गए थे। आमकुदर नरसंहार के बाद चतरा से भाकपा माले का अस्तित्व संकट में पड़ गया। उसके बाद से पार्टी ने यहां पर अपना जनाधार पूरी तरह से खो दिया। इस बीच उग्रवादियों का तांडव जारी रहा। कुछ वर्षों के बाद झारखंड पृथक प्रदेश बना। अलग प्रदेश बनने के बाद वर्ष 2005 में भाजपा के कार्यकर्ता रणविजय ¨सह उर्फ रणु बाबू की हत्या हुई। रणविजय ¨सह को 27 फरवरी को शाम के वक्त समाहरणालय के समीप अपराधियों ने गोली मारी मारी थी। 27 दिसंबर 2006 को पीपुल्स लिब्रेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के उग्रवादियों ने भाजपा नेता विजय साह की हत्या उनके आवास से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर कर दी थी। शहरवासी अभी इस घटना से उबर भी नहीं पाए थे कि 20 दिनों के अंतराल पर शहर में दूसरी हत्या की एक और घटना हो गई। इसमें राजद कार्यकर्ता प्रदीप यादव मारे गए। उग्रवादियों ने राजद कार्यकर्ता यादव को शहर के झारखंड मैदान के समीप संतोषी मंदिर के समीप गोली मारी थी। पुलिस हत्या की इस गुत्थी को अभी पूरी तरह से सुलझा भी नहीं पाई थी कि प्रतापपुर में राजद नेता गुलाब यादव की हत्या कर दी गई। इसके बाद राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या का क्रम कुछ समय के लिए थम गया। 15 अप्रैल 2012 को कुछ बदमाशों ने मामूली सी बात को लेकर सदर प्रखंड तुराग गांव में शिव कुमार ¨सह की हत्या कर दी। इस घटना के करीब दस महीना बाद 11 जनवरी 2013 को उग्रवादियों ने कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष शंकर साहू की शहर के रिहायशी इलाके में गोली मारकर कर दी। वर्ष 2013 से लेकर 2017 तक बूथ स्तर के कुछ कार्यकर्ता उग्रवादी की भेंट चढ़े। इसी क्रम में 14 मई 2017 को हंटरगंज प्रखंड की गोसाइडीह पंचायत के पूर्व मुखिया और समाजवादी नेता आनंदी ¨सह की अपराधियों ने हत्या कर दी। उसके बाद बीस जनवरी 2018 को प्रतापपुर के गजवा मुखिया और झाविमो नेता चंद्रिका प्रसाद यादव की हत्या कर दी गई।

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