सीसीएल को जमीन देकर भटक रहे दर-बदर
बेरमो सीसीएल बी एंड के प्रक्षेत्र के कारो परियोजना के विस्थापितों ने गुरुवार को प्रबंधन की न ...और पढ़ें

बेरमो : सीसीएल बी एंड के प्रक्षेत्र के कारो परियोजना के विस्थापितों ने गुरुवार को प्रबंधन की नीति का जमकर विरोध किया। परियोजना से सटे कारो बस्ती के विस्थापितों के भविष्य से प्रबंधन खिलवाड़ कर रही है। सीसीएल को अपनी जमीन देकर नियोजन व मुआवजा पाने को यहां के लोग दर-बदर भटक रहे हैं। जबकि कारो परियोजना की विस्तारित कोयला खदान बस्ती के 50 मीटर तक पहुंच गया है। खदान के इतने पास पहुंचने पर 328 परिवार के लोग हमेशा डर के साये में रहने को विवश हैं। विस्थापित नेता सोहनलाल मांझी ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन कोयला उत्पादन की होड़ में इस कदर मग्न है कि उसे विस्थापितों की सुविधाओं का जरा सा भी ख्याल नहीं रह गया है। प्रबंधन ने कारो खदान के विस्तार के लिए पुराने तालाब व स्थानीय खेल मैदान को काटकर उसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया।
अब बिना नियोजन व मुआवजा दिए प्रबंधन बस्ती की ओर रुख कर रहा है। प्रबंधन इसका भी अस्तित्व समाप्त करना चाह रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मौके पर मेघलाल गंझू, रवि मुंडा, विकास महतो, रशीद अहमद, तनवीर खान आदि मौजूद थे। जर्जर हो चुके हैं आवास :
बस्ती निवासी कुंवर मांझी ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन सुरक्षा नियमों को पूरी तरह से ताक पर रख कर कारो माइंस संचालित करा रहा है। धीरे-धीरे खदान आबादी से महज 50 मीटर की दूरी पर पहुंच चुकी है। खदान में हैवी ब्लास्टिग होने पर आए दिन पत्थर उड़कर हमारे घरों पर गिरते हैं। हैवी ब्लास्टिग की वजह से आंधी की तरह धूल उड़ती है। इससे कालोनी व गांव के लोग प्रभावित हो रहे। कहा कि ब्लास्टिग के कारण गांव के लगभग सभी मकान जर्जर हो चुके हैं। घरों में दरार आ ही गई है। विस्थापितों ने कहा कि प्रबंधन विस्थापितों को भय दिखाकर जबरन मकान खाली कराना चाहती है। जबकि विस्थापितों ने राष्ट्रहित के लिए अपने पूर्वजों की जमीन कोयला खनन के लिए सुपुर्द कर दिया है। विस्थापितों ने कहा कि प्रबंधन जबरन उनके अधिकार से वंचित करना चाह रही हैं। जबकि गांव वालों ने शिफ्टिग के लिए सहमति भी दे दी है। इसके बावजूद प्रबंधन शिफ्टिग के दिशा में पहल नहीं कर रही है। कहा कि हम लोग खदान के विस्तार का विरोध नहीं कर रहे हैं। सीसीएल प्रबंधन विस्थापितों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए खदान का विस्तार करे।
1067 एकड़ जमीन का किया गया था अधिग्रहण :
क्षेत्रीय प्रबंधन ने वर्ष-1984 में कारो बस्ती की लगभग 1067 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया था। उनमें 126 एकड़ जमीन रैयती, 572.72 एकड़ वनभूमि, 171 एकड़ जीएमके सेटल व 197.45 एकड़ गैरमजरुआ खास जमीन शामिल हैं। रैयती जमीन के एवज अब तक 116 लोगों को नियोजन दिया गया। अब भी लगभग 50 लोग नियोजन व मुआवजा पाने के लिए भटकने को विवश हैं। विस्थापितों ने दर्जनों बार आंदोलन कर प्रबंधन के साथ वार्ता की, परंतु कोई नतीजा नहीं निकल पाया।
कारो बस्ती के लोगों की शिफ्टिग करने को प्रबंधन की तरफ से पहल की जा रही है। किसी भी विस्थापित के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। जल्द ही गांव वालों के साथ बैठक कर सहमति बनाई जाएगी।
केडी प्रसाद, पीओ कारो खदान

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