शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार बुजुर्ग को छोड़ गए परिजन
अब यह बदलती सामाजिक सोच ही है कि बुजुर्ग परिवार का सम्मान बनने की बजाय बोझ बनते जा रहे हैं।
संवाद सहयोगी, चितपूर्णी : अब यह बदलती सामाजिक सोच ही है कि बुजुर्ग परिवार का सम्मान बनने की बजाय बोझ बनते जा रहे हैं। अगर कोई बुजुर्ग मानसिक रूप से बीमार हो जाए तो परिजन उनसे मुक्ति के लिए रास्ता ढूंढते हैं। ऐसा ही मामला रविवार दोपहर बाद चिंतपूर्णी के मुख्य बाजार में देखने को मिला। यहां एक बुजुर्ग नाली में बेसुध होकर गिरा हुआ था। पहली नजर में उक्त व्यक्ति भिखारी नजर आ रहा था, लेकिन स्थानीय दुकानदार भी बता रहे थे कि उसे दो दिन पहले ही यहां देखा गया है। ऐसा अंदेशा है कि कोई उसे जानबूझ कर यहां पर छोड़ गया है। बाद में स्थानीय वासियों ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी।
थाना प्रभारी ने अपनी टीम के साथ बुजुर्ग को नाली से बाहर निकाला और जूस भी पिलाया। उसकी सेहत भी ठीक नहीं है। अब उसे कौन यहां छोड़ गया है, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। थाना प्रभारी जगवीर सिंह ने बताया कि बुजुर्ग के नाली में गिरा होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने बुजुर्ग का स्थानीय अस्पताल में ले जाकर प्राथमिक उपचार करवा दिया गया है। फिलहाल वह अपने बारे में बताने में कुछ भी समर्थ नहीं है।
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चितपूर्णी में पहला नहीं है यह मामला
धार्मिक नगरी में मानसिक रूप से बीमार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे लोग कहां से आते हैं और कौन उन्हें यहां छोड़कर चला जाता है, इसके बारे में भी किसी को जानकारी नहीं है। इतना तो साफ है कि चितपूर्णी में भोजन की सहज उपलब्धता के कारण ये लोग यहां बस जाते हैं। कुछ वर्ष पूर्व एक बच्चे को उसके अभिभावक स्थानीय बाजार में छोड़ गए थे। बाद में उसे प्रेम आश्रम ऊना में भेजा गया, लेकिन तमाम कोशिशें के बावजूद प्रशासन बच्चे के मां-पिता को नहीं ढूंढ पाया था। चितपूर्णी बाजार में अब भी पांच से छह ऐसे लोग रोज घूमते रहते हैं। इनमें से एक महिला ने नए बस अड्डे के समीप वर्षाशालिका पर कूड़ा-कचरा इकट्ठा करके एक तरह से कब्जा कर लिया था, जिसे मंदिर न्यास ने साफ करवाया। अब बुजुर्ग को यहां छोड़ दिया गया है।