कितने आए श्रद्धालु, मंदिर न्यास नहीं जानता

संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ¨चतपूर्णी में श्रद्धालुओं की संख्या व उनकी दिक्कतों का

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Mar 2017 01:00 AM (IST) Updated:Wed, 29 Mar 2017 01:00 AM (IST)
कितने आए श्रद्धालु, मंदिर न्यास नहीं जानता
कितने आए श्रद्धालु, मंदिर न्यास नहीं जानता

संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ¨चतपूर्णी में श्रद्धालुओं की संख्या व उनकी दिक्कतों का सही अध्ययन नहीं हो पा रहा है। शायद यही कारण है कि योजनाएं उस तरह से आकार नहीं ले पा रही हैं, जिस तरह की आवश्कता महसूस की जा रही है। कहीं न कहीं अनुभव की कमी भी मुश्किल खड़ी कर रही है।

धार्मिक नगरी में प्रतिवर्ष मां के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का सही आंकड़ा मंदिर न्यास के पास नहीं है। श्रद्धालुओं की तादाद में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है, बावजूद इसके श्रद्धालुओं की संख्या का सही पता लगाने के लिए मंदिर प्रशासन वैज्ञानिक आधार तैयार नहीं कर पाया है। करीब साढ़े चार वर्ष पूर्व इसी मुद्दे को लेकर मंदिर न्यास ने बायोमीट्रिक मशीन लगाने की घोषणा की थी, लेकिन परिणाम इस बार भी शून्य ही रहा। चैत्र नवरात्र मेला शुरू हो चुका है और हैरत यह है कि प्रशासन के इस बार भी श्रद्धालुओं के आंकड़े मात्र अनुमान से ही एकत्रित करेगा।

उधर, इसी कमी के चलते नगर के विकास और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाई जाने वाली करोड़ों रुपये की योजनाएं प्रभावित होने लगी हैं। इससे श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय लोगों को भी दिक्कत हो रही है। हालांकि कुछ समय पहले मंदिर न्यास ने श्रद्धालुओं का सही आंकड़ा हासिल करने के लिए बायोमीट्रिक मशीनें मंदिर परिसर में लगाने का निर्णय लिया था, लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी ऐसी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ वर्ष पहले बनाए गए बस अड्डे व पार्किंग स्थल अब छोटे पड़ने लगे हैं। हाल ही में मंदिर न्यास के सौजन्य से बनाई गई पेयजल परियोजना श्रद्धालुओं की प्यास में बुझाने में असमर्थ दिखाई दे रही है।

बढ़ता यातायात नियंत्रित करना हुआ मुश्किल

¨चतपूर्णी में बनाए गए दोनों बाईपास बढ़ते ट्रैफिक को नियंत्रित करने में असफल प्रतीत हो रहे हैं। भीड़ वाले दिनों में इस धार्मिक स्थल पर अफरा-तफरी का माहौल रहता है। ऐसे में मंदिर न्यास को श्रद्धालुओं की वास्तविक संख्या का पता न होना निकट भविष्य में परेशानी में भी डाल सकता है। आगामी सालों में श्रद्धालुओं की संभावित संख्या को देखते हुए मंदिर न्यास विस्तारीकरण की योजना पर भी काम करने की योजना है, लेकिन यक्ष प्रश्न यही कि क्या प्रशासन श्रद्धालुओं की सही संख्या का पता लगाए बिना इसको सफल बना पाएगा क्योंकि इससे पहले मंदिर प्रशासन की ओर से जितनी भी विकास योजनाओं पर काम हुआ है, वे श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के आगे हांफने लगी हैं।

बायोमीट्रिक मशीनों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है क्योंकि ऐसी योजना उनके कार्यकाल से पहले बनी होगी। इसका अध्ययन किया जाएगा और यह पता लगाया जाएगा कि यह योजना क्यों सिरे नहीं चढ़ पाई। वैसे रविवार व भीड़ वाले दिनों में पर्ची सिस्टम लागू होने के बाद यात्रियों की संख्या का सही आंकड़ा मंदिर प्रशासन के पास उपलब्ध है।

सरोज कुमारी, मंदिर अधिकारी, चिंतपूर्णी

बायोमीट्रिक मशीनों से रुक सकती है बैक डोर एंट्री

अगर बायोमीट्रिक मशीनें मंदिर परिसर से पहले एक निर्धारित स्थान पर लगा दी जाएं तो बैक डोर एंट्री पर भी अंकुश लग सकता है। न्यास के तमाम उपायों के बावजूद बैक डोर एंट्री पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाना असंभव सा दिखता है।

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