सोलन जिले में 3787 पशु लंपी रोग की चपेट में, 83 पशुओं की हो चुकी है मौत

जिला सोलन में लंपी रोग के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Aug 2022 09:45 PM (IST) Updated:Thu, 25 Aug 2022 09:45 PM (IST)
सोलन जिले में 3787 पशु लंपी रोग की
चपेट में, 83 पशुओं की हो चुकी है मौत
सोलन जिले में 3787 पशु लंपी रोग की चपेट में, 83 पशुओं की हो चुकी है मौत

मनमोहन वशिष्ठ, सोलन

जिला सोलन में लंपी रोग के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सोलन जिले में वीरवार शाम तक 3787 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 1278 पशुओं को ठीक किया जा चुका है। वहीं संक्रमित सक्रिय मामलों की संख्या 2294 है। जिले में अभी तक लंपी वायरस से 83 पशुओं की मौत हो चुकी है। एक संक्रमित पशु के दूसरे स्वस्थ पशु के संपर्क में आने से यह वायरस जल्दी अपने पांव पसार रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालक इस वायरस के लक्षण अपने पशुओं में देखकर चितित हैं। जिले में हजारों पशुओं में इस वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण भी किया जा चुका है।

पशुपालन विभाग सोलन के सहायक निदेशक डा. मनदीप कुमार ने बताया कि पशुओं में इस रोग पर नियंत्रण के लिए लगातार गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 6781 पशुओं में टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण प्रभावित गांव के बजाय साथ लगते गांव के पशुओं में किया जा रहा है। प्रभावित गांवों में पशुओं को सात दिन की निगरानी में रखा जा रहा है, पशुओं में तीन दिन बाद भी इसके लक्षण सामने आ रहे हैं। प्रभावित गांवों में इंकूबेशन पीरियड के बाद ही टीकाकरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले से रोजाना की रिपोर्ट शिमला भेजी जा रही है।

उन्होंने बताया कि वीरवार को जिले में 480 नए मामले सामने आए, जबकि 17 पशुओं की मौत हुई है। वहीं 478 से अधिक पशु एक ही दिन में रिकवर भी हुए। जिले में रिकवरी दर भी अब बेहतर हो रही है, इससे स्वास्थ्य विभाग भी राहत की सांस ले रहा है। उन्होंने बताया कि कसौली विधानसभा क्षेत्र के नेरीकलां में पशुपालकों को जागरूक करने के लिए शिविर भी लगाया गया। ये बरतें सावधानी

पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखने पर उसे दूसरी जगह आइसोलेट करें। ताकि स्वस्थ पशुओं में यह वायरस संपर्क में आने से न जाए। पशुओं में इसके लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्रों में चिकित्सकों को संपर्क करें। इसके अलावा वायरस से पीड़ित पशु को छूने के बाद दूसरे पशुओं को न छुएं और अच्छी तहर से हाथ साफ करें। पशु चिकित्सकों की सलाह के अनुसार ही पशुओं को कोई भी दवा दें। पशुओं को मक्खी, मच्छरों से बचाएं।

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