ओलावृष्टि के 24 घंटे बाद ही बगीचों में करें कोई स्प्रे

अप्रैल मई महीने में बारिश का होना राहत प्रदान करता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 14 Apr 2019 08:02 PM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2019 06:43 AM (IST)
ओलावृष्टि के 24 घंटे बाद ही बगीचों में करें कोई स्प्रे
ओलावृष्टि के 24 घंटे बाद ही बगीचों में करें कोई स्प्रे

जागरण संवाददाता, शिमला : अप्रैल में बारिश का होना राहत प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त पौधों के विकास और फल उत्पादन में वांछित सहायता प्रदान करता है। अप्रैल व मई में बारिश के साथ ओलावृष्टि का प्रकोप ज्यादा रहता है। कुछ साल से यह प्रकोप बढ़ा है। ओले गिरने से न केवल फूलों को नुकसान होता है बल्कि टहनियां तक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। फल को इसका अधिक नुकसान पहुंचता है। ओलावृष्टि के कारण सेब बगीचों में हुए नुकसान को कम करने के लिए बागवानी विशेषज्ञ डॉ. जगदीश वर्मा ने कुछ सुझाव दिए हैं। इससे नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

ओलावृष्टि होने के 24 घंटे तक बगीचे में किसी तरह की स्प्रे न करें। 24 घंटे बाद ही बागवान स्प्रे कर सकते हैं। इसमें यूरिया, बेबिस्टीन, चिलेटिड जिक व बोरोन की स्प्रे बागवान करें। इस स्प्रे से जहां यूरिया तुरंत नाइट्रोजन द्वारा ओलों से हुई नुकसान की भरपाई करेगा। वहीं बोरोन पोषक तत्व के रूप में, जबकि जिक इन सभी दवाओं को पौधे में भेजने के लिए एक्टीवेटर का काम करेगा। बेबिस्टान पौधे और पत्तियों को अन्य रोगों से बचाता है। इसके अलावा बागवान मल्टीप्लेक्स का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसमें जिक बोरोन और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। साथ इन दवाओं का दाम कम होने से बागवानों की स्प्रे पर लागत कम आती है। इस स्थान में ओलावृष्टि अधिक हुई है और पौधे की छाल को अधिक नुकसान हुआ है उस बगीचे में बागवान टाटा रोगर कीटनाशक की स्प्रे जरूर करें, क्योंकि जहां ओलों से पौधे की छाल छिल गई है। उन पर वुलिएफिड हमला कर नुकसान पहुंचा सकते हैं। रोगर की स्प्रे करने से इससे बचा जा सकता है।

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