शिवरात्रि की शान देव छांझणू व छमांहू

जागरण संवाददाता, मंडी : अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि में शिरकत करने वाले देव घटोत्कच एकमात्र ऐसे देवता है

By Edited By: Publish:Mon, 20 Feb 2017 01:00 AM (IST) Updated:Mon, 20 Feb 2017 01:00 AM (IST)
शिवरात्रि की शान देव छांझणू व छमांहू
शिवरात्रि की शान देव छांझणू व छमांहू

जागरण संवाददाता, मंडी : अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि में शिरकत करने वाले देव घटोत्कच एकमात्र ऐसे देवता हैं जो आधे राक्षस व आधे देवता हैं। हि¨डबा पुत्र घटोत्कच को दोनों रूपों में पूजा जाता है। घटोत्कच देवता को छमांहू देवता के रूप में भी पूजा जाता है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि में शिरकत करने वाले कुछ देवताओं का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। जनपद के आराध्य देवता देव कमरूनाग जहां महाभारत युद्ध के योद्धा रत्नयक्ष के प्रतिरूप माने जाते हैं तो देव घटोत्कच भी पांडव भीम के पुत्र कहलाते हैं। घटोत्कच के गुरु देव छांझणू के रूप में जाने जाते हैं। दोनों देवता गुरु-शिष्य की परंपरा को आज भी बखूबी निभा रहे हैं। दोनों देवता राज देवता माधो राय की जलेब में सबसे आगे चलते हैं। देवता छांझणू को शेष नाग का अवतार माना जाता है। मंडी रियासत के यही दो देवता हैं जिनकी मान्यता मंडी जनपद के साथ कुल्लू जनपद में भी है।

देवता के कारदारों के अनुसार देव घटोत्कच गढ़पति देवता हैं। देव छांझणू को छांजणी झील में स्थापित किया गया है। दोनों देवताओं ने अगर कहीं जाना होता है तो एक साथ निकलते हैं। यहां तक कि मनाली में देवी हि¨डबा से मिलने जाने के लिए भी दोनों रथ एक साथ निकलते हैं। हि¨डबा देवी के यहां कोई भी कारज उनके पुत्र घटोत्कच के बिना संपन्न नहीं होता। राज देवता माधो राय की शान भी इन दोनों देवताओं के एक साथ चलने से है।

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