अनाज मंडी व क्रय केंद्रों की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए

प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में गेहूं व मक्का प्रमुख फसलें हैं। प्रदेश में अनाज मंडी का प्रविधान न होने से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अन्य राज्यों की अनाज मंडियों में भटकना पड़ता था। प्रदेश में ही अनाज मंडी व क्रय केंद्रों की सुदृढ़ व्यवस्था की जानी चाहिए।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 08:05 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 08:05 PM (IST)
अनाज मंडी व क्रय केंद्रों की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए
भारतीय किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष सोमदेव शर्मा। जागरण आर्काइव

हमीरपुर, जागरण संवाददाता। प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में गेहूं व मक्का प्रमुख फसलें हैं। प्रदेश में अनाज मंडी का प्रविधान न होने से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अन्य राज्यों की अनाज मंडियों में भटकना पड़ता था। प्रदेश में ही अनाज मंडी व क्रय केंद्रों की सुदृढ़ व्यवस्था की जानी चाहिए।

भारतीय किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष सोमदेव शर्मा ने मांग की है कि इस वर्ष प्रदेश में किसानों को फसल बेचने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार ने विभिन्न जिलों में क्रय केंद्र खोले गए हैैं। यहां पर अब तक एक लाख क्विंटल से अधिक गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल खरीदी गई। भारतीय किसान संघ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, खाद्यान्न आपूॢत मंत्री राजिंद्र गर्ग, कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर, भारतीय खाद्य निगम प्रशासन, विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर व कृषि विभाग का धन्यवाद किया। संघ ने सरकार से आग्रह किया कि प्रदेशभर में मक्की की फसल को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए। इसके लिए अन्य जिलों में भी क्रय केंद्र खोले जाएं। खरीद की तिथि 10 के बजाय 15 जून तक बढ़ाई जाए ताकि ऊना जिले बाकी किसान भी फसल बेच सकें। गगरेट में मशीनें देरी से उपलब्ध होने से गेहूं की कटाई देरी से हुई। इस कारण फसल मंडी में पहुंचने में में देरी हुई है। प्रति हेक्टेयर जमीन की औसतन उपज पूरे प्रदेश की जगह जिला औसत उपज पर गेहूं की खरीद की जाए। पंजाब व हरियाणा सीमा से सटे हिमाचल के मैदानी क्षेत्रों की औसत उपज अन्य क्षेत्रों से ज्यादा है। क्षेत्रीय उपज अंतर व प्रदेश औसत उपज के कारण किसान पूरी फसल नहीं बेच पा रहे हैं। गेहूं खरीद केंद्र में किसान प्रदेश औसतन उपज अर्थात डेढ़ क्विंटल प्रति कनाल पर ही बेच सकता है। इस कारण किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल की जगह 1850 रुपये में आढ़तियों को बेचने के लिए बाध्य हैं। इसे आगामी वर्ष के लिए सही आकलन कर दुरुस्त किया जाए ताकि किसान पूरी फसल गेहूं खरीद केंद्र में बेचकर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त कर सकें।

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