बीके अग्रवाल की देन है कांगड़ा चित्रशैली

मुख्य सचिव नियुक्त किए आइएएस अधिकारी बीके अग्रवाल का कांगड़ा से विशेष लगाव और नाता रहा है।

By Edited By: Publish:Sun, 30 Sep 2018 07:58 AM (IST) Updated:Mon, 01 Oct 2018 08:06 AM (IST)
बीके अग्रवाल की देन है कांगड़ा चित्रशैली
बीके अग्रवाल की देन है कांगड़ा चित्रशैली

मुनीष गारिया, धर्मशाला पदनाम प्रशासनिक अधिकारी का लेकिन चित्रकला के प्रेमी और अच्छे ज्ञाता। प्रशासनिक अफसर होने के साथ-साथ कलाप्रेमी के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज कांगड़ा चित्रशैली विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां बात हो रही है कि प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य सचिव नियुक्त किए आइएएस अधिकारी बीके अग्रवाल की, जिनका कांगड़ा से विशेष लगाव और नाता रहा है।

कला के प्रति उनके जुनून ने न केवल कांगड़ा चित्रशैली को बचाने के लिए सोसायटी बनाकर स्कूल खोल दिया, बल्कि हाथों में गिलहरी की पूंछ के ब्रश थमाकर जीवन में रंग और आत्मनिर्भरता भर दी। आइएएस अधिकारी बीके अग्रवाल का कांगड़ा से विशेष नाता रहा है। उन्होंने जिला कांगड़ा में विभिन्न पदों पर पांच वर्ष तक सेवाएं दी हैं। विभिन्न पदों पर रहने के साथ-साथ उनका लोगों के साथ अच्छा व्यवहार रहा है। कांगड़ा आ‌र्ट्स प्रमोशन सोसायटी के सचिव वरुण बताते हैं कि उन्हें याद है वह दौर जब कांगड़ा चित्रकला का अस्तित्व धूमिल होता जा रहा था। 2000 के दशक में जिला कांगड़ा में कांगड़ा चित्रशैली के जानकार करीब पांच-छह लोग ही बचे थे। इस दौरे में बीके अग्रवाल ने कुछ लोगों को इकट्ठा किया और कांगड़ा आर्ट सोसायटी बनाने का सुझाव दिया। कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक रूप से मदद भी करवाई। 2008 में सोसायटी पंजीकृत करवाने के साथ- साथ उन्हीं के सुझावों के अनुसार, सोसायटी ने 2009 में चितेरा आर्ट स्कूल शुरू किया। इस वक्त सोसायटी एवं स्कूल में जुड़े करीब 40 कलाकार कांगड़ा चित्रशैली को बचाने में सहयोग करते हुए जीवन यापन कर रहे हैं।

खनियारा के चित्रकार मोनू, धर्मशाला की पूनम और अरविंद जैसे 10 कलाकार स्थायी रूप से सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, सोसायटी बनाते वक्त बीके अग्रवाल ने सुझाव दिया था कि इससे जुड़ने वाले कलाकारों में किसी प्रकार की बंदिश नहीं होनी चाहिए। कलाकारों को ऐसी आजादी दी जाए कि वे खुद कांगड़ा चित्रशैली से जुड़े चित्र खुद बनाकर उनका प्रचार व विक्रय भी कर सकें। अच्छी बात यह थी कि उन्हें खुद कांगड़ा चित्रशैली का खासा ज्ञान था। कई बार चित्रशैली को लेकर वे ऐसे सुझाव देते थे कि चित्रकारों को बहुत कुछ सीखने को मिलता था।

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