..ताकि बेटी की आंखें देखती रहें दुनिया, स्‍वजनों ने छह माह की मासूम की आंखें की दान Kangra News

अपनी आंखों से मुझको मां ओझल न होने देती है। खुद रो लेती है लेकिन मां मुझको न रोने देती है। अब मैं इस संसार में नहीं हूं लेकिन मेरी आंखें तो दुनिया देख ही सकती हैं..मासूम बेटी की मौत के बाद माता-पिता ने ऐसी मिसाल पेश की है।

By Edited By: Publish:Mon, 16 Nov 2020 09:18 PM (IST) Updated:Tue, 17 Nov 2020 01:35 PM (IST)
..ताकि बेटी की आंखें देखती रहें दुनिया, स्‍वजनों ने छह माह की मासूम की आंखें की दान Kangra News
पंचायत जोगीपुर के छोटी हलेड़ गांव की आन्‍या का फाइल फोटो।

रितेश ग्रोवर, कांगड़ा। अपनी आंखों से मुझको, मां ओझल न होने देती है। खुद रो लेती है, लेकिन मां मुझको न रोने देती है। अब मैं इस संसार में नहीं हूं लेकिन मेरी आंखें तो दुनिया देख ही सकती हैं..मासूम बेटी की मौत के बाद माता-पिता ने ऐसी मिसाल पेश की है, जिससे उन्हें बेटी के इस दुनिया में होने का अहसास जिंदगीभर रहेगा। मां ने नौ माह तक कोख में बच्ची को पालने के बाद छह माह तक उसकी परवरिश की, लेकिन बच्ची को किसी गंभीर बीमारी की नजर लग गई और रविवार रात वह दुनिया से विदा हो गई। मासूम बच्ची के खोने के बाद दंपती ने उसकी आंखें दान करने का साहसिक फैसला लिया।

फूल सी बच्ची की मासूम आंखें देने का फैसला लेना कितना कठिन होता है लेकिन इस दंपती ने यह मिसाल पेश की है। कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र की पंचायत जोगीपुर के छोटी हलेड़ गांव में रहने वाले युवा दंपती अतुल चौधरी व मीनाक्षी की सोच दुनिया बदलने वाली है। इस दंपती की छह माह की बेटी आन्या की रविवार देर रात बीमारी के कारण मौत हो गई। दंपती ने संसार को न देख पाई नन्ही बेटी को दुनिया के रंग दिखाने के लिए उसकी आंखें दान करने का निर्णय लिया। सोमवार को दंपती ने डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में बेटी की आंखें दान कीं।

आन्या की आंखें किसकी दुनिया को रोशन करेंगी, इसका पता तो माता-पिता को भी नहीं है लेकिन उन्हें इस बात का अहसास हमेशा रहेगा कि बेटी की आंखें किसी की अंधेरी जिंदगी में उजाला करेंगी। अतुल चौधरी शिक्षा विभाग में तैनात हैं और उपमंडल कांगड़ा में सेवाएं दे रहे हैं जबकि मीनाक्षी टांडा मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स हैं। यह दंपती उन परिवारों के लिए प्ररेणास्रोत बना है जो किसी अनहोनी के कारण अपनों को खो देते हैं। आन्या अतुल चौधरी की दूसरी बेटी थी। 15 नवंबर को तबीयत खराब होने पर उसे टांडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया था। आन्या को आइसीयू वार्ड में भर्ती किया था लेकिन रविवार रात उसकी मौत हो गई। बेटी के खोने के गम के बीच इस दंपती ने बेटी की आंखें दान करने का फैसला लिया। इस निर्णय के लिए दंपती को स्वजनों का भी साथ मिला है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा राजीव तुल्ली का कहना है मौत के छह घंटे के भीतर ही आंखें संरक्षित की जाती हैं और पांच दिन से लेकर एक साल तक ट्रांसप्लांट की जा सकती हैं, लेकिन अलग-अलग स्थितियों के आधार पर। लोग इस बारे में अभी तक जागरूक नहीं हैं। अगर लोग जागरूक हों और आंखें दान करें तो कई लोगों के जीवन में उजाला हो सकता है। दंपती ने बेटी की आंखें दान कर सराहनीय पहल की है। अन्य लोगों को भी आंखें दान करने के लिए दंपती से प्रेरणा लेनी चाहिए।

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