बिन सुविधा दहकने से कैसे बचे वन संपदा

राजेंद्र डोगरा, धर्मशाला आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए भले ही बड़े पैमाने पर तैयारियां कर ली

By Edited By: Publish:Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST) Updated:Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)
बिन सुविधा दहकने से कैसे बचे वन संपदा

राजेंद्र डोगरा, धर्मशाला

आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए भले ही बड़े पैमाने पर तैयारियां कर ली गई हों, लेकिन सुविधाओं की दरकार करोड़ों की वन संपदा पर खतरा बन खड़ी हो गई है। अप्रैल में ही जंगलों में आगजनी का दौर भी शुरू हो गया है। ऐसे में मानसून के आने तक जैसे-जैसे पारा उछलेगा, वैसे-वैसे हवा में नमी कम होती जाएगी और शरारती तत्वों व बरसात में अच्छी घास की चाहत के लिए घासनियों में लगाई जाने वाली आग करोड़ों की वनसंपदा को राख कर सकती है।

कांगड़ा शहर में 32 हाइड्रेंट्स में से एक भी काम का नहीं है। धर्मशाला में 25 में से एक ही हाइड्रेंटस काम का है और वह भी शहर से डेढ़ किलोमीटर दूर। यह आलम केवल धर्मशाला व कांगड़ा का ही नहीं बल्कि पालमपुर को छोड़ अन्य शहरों में भी यही स्थिति है। हालांकि वन विभाग ने तो फायर सीजन को लेकर कर्मियों की छुट्टियों रद कर दी हैं और फायर वाचर भी तैनात कर दिए हैं। अग्निशमन में भी अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की गई है लेकिन इन दिशा में अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है, जो फायर सीजन में जंगलों को आगजनी से बचाने के लिए सबसे बड़ी समस्या बन सकती है।

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वन वृत्त धर्मशाला की स्थिति

कुल 3399 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र

1634 वर्ग किलोमीटर वन भूमि

207 वन बीटें

145 वन बीटें संवेदनशील व अति संवेदनशील

चीड़ व चौड़ी पत्ती के वन जिसमें 22,626 हेक्टेयर क्षेत्र

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यह है आग लगने का कारण

अच्छी घास के लिए घासनियों में आग लगाना, सिगरेट-बीड़ी के जलते टुकड़े यहां-वहां फेंक देना, कूड़े-कर्कट के ढेरों पर आग लगा स्वयं चले जाना।

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वन विभाग की तैयारी

वन वृत्त के तहत ब्लॉक स्तर पर डिप्टी रेंजर के नेतृत्व में 153 टीमों का गठन। हर टीम में तीन से पांच वनरक्षक, इतने ही वनकर्मी व फायर वॉचरों की तैनाती। परिक्षेत्र से लेकर वृत्त स्तर पर नियंत्रण कक्ष। 127 किलोमीटर में फायर लाइन को क्लीयर करना।

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ये क्षेत्र हैं अति संवेदनशील

वन वृत्त के तहत नूरपुर, कांगड़ा, रानीताल, मलां व बैजनाथ अति संवेदनशील क्षेत्र हैं।

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2015-16 में आए 10 मामले

2015-16 में विभाग ने दस मामले दर्ज किए, जिसमें 52 हेक्टेयर जंगल, पांच हेक्टेयर प्लांटेशन जबकि सात हेक्टेयर अन्य प्रभावित हुआ। कुल 28 हजार अनुमानित नुकसान रहा।

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'वन वृत्त के तहत 230 के करीब टीमों के अलावा फायर वॉचरों की तैनाती कर दी गई है, जिन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे पंचायतों में जाकर युवा मंडलों, महिला मंडलों व स्थानीय लोगों सहित स्कूलों में जाकर उन्हें जागरूक करें। यह भी निर्देश जारी किए गए हैं कि कोई भी घासनियों में बिना विभाग को सूचित किए आग न लगाए। यदि आवश्यकता हुई तो वन विभाग स्वयं प्रबंध कर घासनियों को जलाने का प्रबंध करेगा, ताकि जंगलों को बचाया जा सके।'

-प्रदीप ठाकुर, अरण्यपाल वन वृत्त धर्मशाला (वन विभाग)।

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अग्निशमन विभाग प्रयासरत

'पालमपुर शहर को छोड़ सभी शहरों में हाइड्रेंट्स की कमी है और जो हैं वे खराब हैं। इससे अग्निशमन विभाग की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। इसके लिए 24 घंटे कर्मियों को सतर्क रहने की हिदायत जारी की गई है।'

-एसके चौधरी, अग्निशमन उप अधिकारी अग्निशमन केंद्र धर्मशाला।

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