पशु औषधालय सुराल में फार्मासिस्ट न चपरासी
संवाद सहयोगी पांगी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं चलाई हैं लेकि
संवाद सहयोगी, पांगी : पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं चलाई हैं, लेकिन पांगी घाटी में स्टाफ की कमी के कारण योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं। स्टाफ की कमी के कारण न तो पशुओं की वैक्सीनेशन सही समय पर हो रही है और न ही बीमार पशुओं के उपचार के लिए चिकित्सक व फार्मासिस्ट उपलब्ध होते हैं, इस कारण पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उपमंडल पांगी की सुराल पंचायत के 333 पशुपालक पशुओं के उपचार के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं। सरकार ने पंचायत सुराल में पशु औषधालय तो खोल दिया है, लेकिन फार्मासिस्ट की नियुक्ति करना भूल गई है।
पंचायत प्रधान दीपक चौहान ने बताया हर एक परिवार (किसान-बागवान) पशुपालन व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। पशुधन के बिना कृषि व बागवानी का कोई कार्य पूरा नहीं होता है। एक तरफ सरकार आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की बात कर रही है वहीं पशुपालकों को अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाना तो दूर सुराल पशु औषधालय में ताला लटका रहता है। फार्मासिस्ट तो दूर चपरासी तक नहीं है। कभी-कभार एक दो घंटे के लिए फार्मसिस्ट आता है। वह भी दिनभर नहीं रहता। जब तक गांव के किसानों को पता चलता है, तब तक वह चला जाता है। जब भी कोई पशु बीमार होता है तो पशुपालकों को किलाड़ या धरवास का रुख करना पड़ता है। गर्मियों में तो वे किसी तरह उक्त स्थानों पर पहुंच जाते हैं। प्रधान ने कहा कि सुराल में फार्मासिस्ट और चपरासी प्रतिनियुक्ति करने के लिए ग्राम पंचायत की बैठक से नवंबर में प्रस्ताव आवसीय आयुक्त को भेजा था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सुराल पशु औषषधालय में खाली पदों को भरा जाए।
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स्टाफ की कमी के बारे में उच्चाधिकारियों को लिखा है। जल्द सरकार पांगी में पशुपालन विभाग में खाली पदों को भरेगी। सुराल के लिए धरवास से दो दिन के लिए फार्मासिस्ट को डेपुटेशन पर भेजा जाता है। फिर भी इसकी जांच की जाएगी कि वह सुराल जाता है या नहीं।
-सुरेंद्र ठाकुर, सहायक निदेशक पशुपालन विभाग पांगी।