स्लिप डिस्क: अब है बेहतर इलाज आधुनिक

परक्यूटेनियस डिस्क न्यूक्लियोप्लास्टी तकनीक स्लिप डिस्क के मरीजों का मर्ज कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से दूर कर रही है...

By Babita kashyapEdited By: Publish:Tue, 29 Dec 2015 12:42 PM (IST) Updated:Tue, 29 Dec 2015 12:50 PM (IST)
स्लिप डिस्क: अब है बेहतर इलाज आधुनिक

इन दिनों कमर दर्द के मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्लिप डिस्क कमर दर्द का एक प्रमुख कारण है।

कमर दर्द के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख है- गलत मुद्रा (पोस्चर्स) में बैठना। जैसे बैठते या चलते समय रीढ़ की हड्डी को सीधा न रखना आदि। अस्वास्थ्यकर खान-पान और शारीरिक व्यायाम का अभाव आदि। इन दिनों युवावर्ग में भी स्लिप डिस्क के मामले बढ़ते जा रहे हैं। परक्यूटेनियस डिस्क न्यूक्लियोप्लास्टी तकनीक के प्रचलन में आने से स्लिप डिस्क का इलाज बेहतरीन हो चुका है।

जांचें और इलाज

अगर रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार का विकार है, तो एमआरआई जांच के जरिये आसानी से उसका पता लगाया जा सकता है। अगर एम.आरआई में रीढ़ में किसी तरह का विकार या क्षति के लक्षण नजर आते हैं,तो विशेषज्ञ डॉक्टर शीघ्र ही प्रारंभिक उपचार के तौर पर दर्द निवारक दवाएं देते हैं और इसके साथ ही फिजियोथेरेपी करने का भी परामर्श देते हैं। आमतौर पर मरीज को इसी शुरुआती दौर में दर्द से राहत मिल जाती है और जिन्हें राहत नहीं मिलती, उनका अन्य विधियों से सर्जरी रहित इलाज (नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट) किया जाता है। अधिकतर मरीजों को ऐसे इलाज से आराम मिल जाता है, जिन्हें इस इलाज से भी फायदा नहीं होता, उनके लिए स्पाइनल डिस्क के विकारों को दूर करने के लिए परक्यूटेनियस

डिस्क न्यूक्लियोप्लास्टी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। परक्यूटेनियस डिस्क न्यू िक्लयोप्लास्टी एक मिनिमल इनवेसिव यानी नगण्य चीड़-फाड़ वाली सर्जरी है।

लाभ

परक्यूटेनियस डिस्क न्यूक्लियोप्लास्टी के कुछ

प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं...

- मरीज को किसी तरह का संक्रमण नहीं होता।

- एनेस्थेसिया की जरूरत नहीं पड़ती।

- अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं।

- सर्जरी कराने के बाद व्यक्ति शीघ्र ही अपने काम पर लौट आने के योग्य हो जाता है।

- कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

- सफलता की दर 80 से 90 प्रतिशत है।

- किसी भी उम्र में यह सर्जरी करायी जा सकती है।

डॉ.सुदीप जैन

स्पाइन सर्जन, नई दिल्ली

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