छठ पर यमुना के कच्चे घाटों में पूजा के लिए उतरेंग श्रद्धालु, नहीं दिखाई दी प्रशासनिक व्यवस्था

13 नवंबर को छठ पर्व मनाया जाएगा। दो दिन त्योहार में शेष बचे हैं। अभी तक प्रशासन की ओर से यमुना के घाटों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। इसके सारे घाट कच्चे पड़े हैं। उसके ही पानी में उतर कर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करेंगे। वेदी स्थल की लोग खुद सफाई कर रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 10:54 PM (IST) Updated:Sat, 10 Nov 2018 10:54 PM (IST)
छठ पर यमुना के कच्चे घाटों में पूजा के लिए उतरेंग श्रद्धालु, नहीं दिखाई दी प्रशासनिक व्यवस्था
छठ पर यमुना के कच्चे घाटों में पूजा के लिए उतरेंग श्रद्धालु, नहीं दिखाई दी प्रशासनिक व्यवस्था

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : 13 नवंबर को छठ पर्व मनाया जाएगा। दो दिन त्योहार में शेष बचे हैं। अभी तक प्रशासन की ओर से यमुना के घाटों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। इसके सारे घाट कच्चे पड़े हैं। उसके ही पानी में उतर कर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करेंगे। वेदी स्थल के सामने गंदगी के अंबार लगे हुए हैं। किसी भी घाट पर सफाई नहीं की गई है। श्रद्धालु अपनी वेदियों को साफ करने में लगे हैं। यह नजारा शनिवार को देखने को मिला। दैनिक जागरण टीम ने यहां तीन घंटे बिताए। श्रद्धालुओं से बातचीत की। प्रशासनिक की ओर से अब तक इंतजाम न किए जाने से उनमें रोष है।

11. 30 बजे सिटी सेंटर के नजदीक घाट

ये घाट किनारे से टूटा हुआ है। एहितयात के तौर पर रेत के कट्टे भर कर रखे गए हैं। ये भी बहुत दूर नजर आए। इससे काफी दूरी पर पानी है। उसमें श्रद्धालुओं को पूजा संपन्न करनी है। इसी घाट पर पार्क बना है। पार्क की दीवार पर कुछ कर्मी सफेदी करने में लगे थे। गंदगी साफ करने के लिए कोई सफाई कर्मी दिखाई नहीं दिया। किनारों पर पड़ी गंदगी में सुअर मुंह मार रहे थे। इंटरलॉ¨कग सड़क कई जगह टूटी नजर आई। ऊंचा नीचे होने से हादसा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

12.15 बजे बाड़ी माजरा घाट

यहां भी अव्यवस्थाओं का आलम था। तीन महिला व दो पुरुष श्रद्धालु अपनी वेदी को साफ करने में लगे थे। इन्होंने बताया कि श्रद्धा के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। व्रत रखते हैं। पानी के बीच में खड़े होकर सूर्य को अ‌र्घ्य देते हैं। व्रत को लेकर अलग-अलग मान्यता है। यहां एक हिस्सा टूटा नजर आया। घाट के दूसरे तरफ उगी घास में किसी ने आग लगाई हुई थी। उससे सारे में धुआं हो रहा था।

1.10 बजे आजाद नगर घाट

घाट के बिलकुल सामने गंदगी के अंबार लगे थे। कुछ लोग मछली पकड़ने में लगे हुए थे। गंदगी के कारण वातावरण दूषित था। इस घाट पर भी बड़ी संख्या में वेदियां बनी हैं। माहौल देखकर नहीं लगा कि त्योहार में दो दिन शेष रह गए हैं। किनारों पर लाइट नहीं दिखाई दी, जबकि हर साल 250 लाइट लगाई जाती हैं। ओपी ¨जदल पार्क के नजदीक लगी स्ट्रीट लाइट टूटी है।

1.45 बजे शनि मंदिर घाट

इस घाट की स्थिति भी दयनीय थी। इसके नजदीक निकासी की व्यवस्था नहीं की गई। जिस कारण पानी जमा था। निकलने के लिए जगह नाममात्र थी। पूजा के दिन यहां पांव रखने की जगह नहीं होती। इसके साथ ही पटरी पर बने गड्ढे में मिट्टी नहीं भरी गई। उससे वाहन हिचकोले लेकर चलते हैं। गिरने का डर भी रहता है।

कच्चे घाट नहीं हुए दुरुस्त : नर्मदेश्वर त्रिपाठी

श्रद्धालु नर्मदेश्वर त्रिपाठी का कहना है कि वे पर्व के लिए यहां दौरा करने आए थे। उनको कोई भी जगह ऐसी नजर नहीं आई जहां पूजा की जा सके। घाट पर गंदगी के ढेर सजे हैं। कच्चे घाट हैं। इससे पांव स्लिप होने का डर रहता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करते हैं।

नहीं लगी स्ट्रीट लाइटे : उमेश

उमेश प्रसाद ने बताया कि स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है। हर बार 250 स्ट्रीट लाइट लगाई जाती है। इस बार अब तक एक भी नहीं लगी है। त्योहार में दो दिन बचे हैं। समय रहते प्रशासन व्यवस्था करे, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

दुरुस्त नहीं किए पटरी के रास्ते : रमेश

रमेशचंद का कहना है कि पटरी के ऊबर खाबड़ रास्ते हैं। यहां से चलना आसान नहीं है। कदम-कदम पर हादसे का डर है। सबसे बड़ी बात है कि सफाई के इंतजाम नहीं हैं। उससे वातावरण में सांस लेने में दिक्कत हो रही है। नगर निगम को चाहिए कि सफाई की व्यवस्था करे। उससे गंदगी के निजात मिले।

पक्के हो यमुना के घाट : गुरचरण लांबा

गुरचरण लांबा का कहना है कि पार्क के सामने कहने को तीन स्ट्रीट लाइट लगी हैं। उनमें से जलती कोई नहीं है। सारे घाट कच्चे हैं। हर बार घोषणा पक्का करने की जाती है। हर बार निराशा ही हाथ लगती है। इस तरफ प्रशासन को गौर करना चाहिए। सरकार की ओर से बजट जारी करने के बाद भी बनाए नहीं गए।

छठ पर्व का महत्व

ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य की पूजा विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखता है। परिवार के सदस्यों को लंबी आयु प्रदान करती है। चार दिनों तक मनाने वाले इस पर्व के दौरान शरीर और मन को पूरी तरह से साधना पड़ता है।

पहला दिन : नहाय खाय के नाम से प्रसिद्ध इस दिन को छठ पूजा का पहला दिन माना जाता है। इस दिन नहाने और खाने की विधि की जाती है। आसपास के माहौल को साफ सुथरा किया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और बर्तनों को साफ करते हैं। शुद्ध भोजन कर इस पर्व का आरंभ करते हैं।

दूसरा दिन : छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन खरना की विधि की जाती है। खरना का असली मतलब पूरे दिन का उपवास होता है। इस दिन व्रती व्यक्ति निरजल उपवास रखते हैं। शाम होने पर साफ सुथरे बर्तनों और मिट्टी के चुल्हे पर गुड़ के चावल, गुड़ की खीर और पुड़ीयां बनायी जाती है। इन्हें प्रसाद स्वरूप बांटा जाता है।

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