मल्टीनेशनल कंपनियों से मुकाबला करेगा मल्टीपर्पज स्वदेशी सेनेटरी पैड

मल्टीनेशनल कंपनियों से मुकाबले के लिए मल्टीपर्पज स्वदेशी पैड तैयार है। खास बात यह है कि इसे बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 19 Feb 2018 01:40 PM (IST) Updated:Thu, 22 Feb 2018 08:19 PM (IST)
मल्टीनेशनल कंपनियों से मुकाबला करेगा मल्टीपर्पज स्वदेशी सेनेटरी पैड
मल्टीनेशनल कंपनियों से मुकाबला करेगा मल्टीपर्पज स्वदेशी सेनेटरी पैड

जेएनएन, सिरसा। मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे सेनेटरी पैड घातक हैं और इनके नष्ट होने में भी सैकड़ों वर्ष लगते हैं। साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। अब इन्हीं मल्टीनेशनल कंपनियों के सेनेटरी पैड के मुकाबले अब स्वदेशी मल्टीपर्पज पैड मार्केट में आ गया है जिसे बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है और यह पर्यावरण को किसी भी रूप में प्रदूषित नहीं करता और इसे रिसाइकल किया जा सकता है।

सिरसा जिला प्रशासन ने स्वदेशी मल्टीपर्पज पैड के साथ एक नई मुहिम का आगाज किया है। इस मुहिम का मकसद पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बने सेनेटरी पैड की खपत को रोकना है। इसके लिए प्रशासन ने जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत चार मास्टर ट्रेनर महिलाएं तैयार की गई हैं जो स्कूलों व उन दूसरे स्थानों पर पहुंच रही हैं जहां महिलाएं एकत्रित होती हैं उन्हें कपड़े से बने सेनेटरी पैड के बारे में अवगत करवा रही हैं।

इतना नुकसानदायक, सौ साल में भी नहीं गलता

मल्टीनेशनल कंपनियों की ओर से मार्केट में उतारा गया सेनेटरी पैड बहुत अधिक नुकसानदेय है। यह 100 साल तक भी नहीं गलता। यदि इसे जमीन में दबा दिया जाए तो जमीन प्रदूषित होती है और यह पानी को भी खराब करता है। इसके जलाने की भी एडवाइजरी नहीं है। अभी तक इसे कूड़े में ही डाला जा रहा है जो और भी खतरनाक है।

कपड़े पर आसानी से तैयार हो पाएगा मल्टीपर्पज पैड

प्रशासन के पास तमिलनाडु की एक संस्था की ओर से 10 हजार पैड भेजे गए हैं जो कपड़े से बने हैं और कपड़े को भी इस ढंग से बनाया गया है कि मल्टीनेशनल कंपनियों से आसानी से मुकाबला किया जा सके। इस पैड को प्रयोग करने के बाद आसानी से साफ किया जा सकता और फिर धूप में पांच घंटे सुखाने के बाद दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है। मूल्य में भी यह कंपनियों के मुकाबले सस्ता पड़ेगा।

सुशासन सहायिका प्रियंका सिन्हा के मुताबिक जो पैड मार्केट में हैं वे पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं और उन्हें रिसाइक्लिंग नहीं किया जा सकता। जिला प्रशासन ने तमिलनाडु की संस्था के सहयोग से कपड़े के पैड उपलब्ध करवाए हैं। जल्द ही स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पैड तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे पैड तैयार कर मार्केट में उपलब्ध करवा सकें। महिलाओं विशेषकर लड़कियों को जागरूक होना होगा तभी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

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