नहर में मोघे हटाने को लेकर बढ़ा विवाद, दूसरे पक्ष के किसानों ने भी शुरू किया धरना, बोले 50 साल से है मोघे

संवाद सूत्र ऐलनाबाद बेहरवाला खुर्द में टेल पर पानी पहुंचाने की मांग को लेकर किसानों द्वार

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Aug 2019 01:34 AM (IST) Updated:Tue, 20 Aug 2019 06:32 AM (IST)
नहर में मोघे हटाने को लेकर बढ़ा विवाद,  दूसरे पक्ष के किसानों ने भी शुरू किया धरना, बोले 50 साल से है मोघे
नहर में मोघे हटाने को लेकर बढ़ा विवाद, दूसरे पक्ष के किसानों ने भी शुरू किया धरना, बोले 50 साल से है मोघे

संवाद सूत्र ऐलनाबाद : बेहरवाला खुर्द में टेल पर पानी पहुंचाने की मांग को लेकर किसानों द्वारा दिया जा रहा धरना छठे दिन भी जारी रहा। धरनारत किसानों ने नहरी विभाग के चीफ इंजीनियर का पुतला फूंक कर रोष जताया। उधर दूसरी तरफ नहर से मोघे उखाड़े जाने के विरोध में दूसरे पक्ष के किसान भी धरने पर बैठ गए हैं। प्रशासन के आदेश पर सोमवार को डयूटी मजिस्ट्रेट नायब तहसीदार कुलवंत सिंह के नेतृत्व में एसडीओ विकास जांगड़ा ने ऐलनाबाद डिस्ट्रीब्यूटरी नहर में लगे अवैध मोघों को हटाने का काम शुरू किया परंतु इसी दौरान एसडीओ के पास मैसेज आ जाने के बाद कार्य रोक दिया गया। बाद में एसडीओ ने बताया कि इस मामले में कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दे दिये है।

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किसानों ने पुतला फूंक जताया रोष

बेहरवाला खुर्द गांव कीं टेल पर पर छठे दिन किसानों ने नहर के अन्दर खड़े होकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कीं तथा नहर के अन्दर चीफ इंजीनियर का पुतला फूंका। किसानों ने अल्टीमेटम दिया है कि यदि मांगें नहीं मानीं तो कल से अर्धनग्न होकर धूप में बैठे कर धरना देंगे। पूर्व सरपंच सतपाल भाकर ने कहा है कि ऐलनाबाद डिस्ट्रीब्यूटरी में 350 मोघे नजायज लगे हैं जो सरकार कीं पॉलिसी में नहीं है। अधिकारी नहर में राइस सूट लगवा रहे हैं। इससे टेल तक पानी नहीं पहुंचता है ।

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दूसरे पक्ष के किसानों ने शुरू किया धरना, बोले 50 साल से चल रहे हैं मोघे

वहीं दूसरी तरह विभिन्न गांवों के किसानों ने धरने के विरोध में धरना शुरू कर दिया। उन्होंने किसानों के धरने को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि 50 सालों से नहर में मोघे चल रहे है तथा इसकी नहरी विभाग से अनुमति ली हुई है। कुछ लोग बिना वजह प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। इस मौके पर जसवंत सिंह, लूणाराम ढूंढाड़ा, सुरेंद्र सुंडा ममेरां, रघुवीर चाहर ममेरां, गुरमीत लालीपुरिया, बृजलाल गोरा , छबीलदास सुथार उपस्थित थे।

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