जो रोजना कुछ नया सीखने के लिए अपनी भूख बढ़ाए वो अभिनेता : मेघना मलिक

एक अभिनेता और थिएटर आर्टिस्ट वह होता है। जो हर दिन कुछ न कुछ न

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Dec 2018 08:51 AM (IST) Updated:Thu, 13 Dec 2018 08:51 AM (IST)
जो रोजना कुछ नया सीखने के लिए अपनी भूख बढ़ाए वो अभिनेता : मेघना मलिक
जो रोजना कुछ नया सीखने के लिए अपनी भूख बढ़ाए वो अभिनेता : मेघना मलिक

रीतू लांबा, रोहतक : एक अभिनेता और थिएटर आर्टिस्ट वह होता है। जो हर दिन कुछ न कुछ नया सीखने और कुछ अलग करने की भूख को रोजना बढ़ाता है। लोगों को टीवी और थिएटर की दुनिया बड़ी ही सरल और रंगीन लगती है, पर इस लाइन में आकर तरह-तरह के किरदारों को निभाना थोड़ा कठिन होता है। मेरा मानना है कि चुनौती तो हर राह में आती है। जब उस चुनौती को पूरा करने की जिद हो जाए तो अब आगे भी निकल जाते हैं। यह बातें न आना इस देश लाडो और अम्मा जी के धारावाहिक में रूढि़वादी, क्रूर और दबंग महिला का किरदार निभाने वाली मेघना मलिक ने कही। जितनी वह धारावाहिक में दबंग है। उतनी ही रीयल लाइफ में भी है। फर्क इतना है कि वे रूढि़वादी विचारों की नहीं हैं और लड़का-लड़की में कोई फर्क नहीं मानती हैं। दैनिक जागरण के साथ मेघना मलिक से बातचीत के अंश..। सवाल- आपका हरियाणा से मुंबई तक का सफर कैसा रहा?

जवाब- शुरुआती समय में तो मैं जब मुंबई गई तो वहां मैं किसी को जानती नहीं थी। कई बार सोचती थी पता नहीं क्या होगा पर मेरे अंदर जो थिएटर का कीड़ा था वो मुझे हारने नहीं देता था। शुरुआत में तो थोड़ी परेशानी हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई और रास्ते बनते गए और आज इस लाइन में काम करते-करते 18 वर्ष हो गए हैं। सवाल- अभी कई ऐसे गांव हैं जहां लड़कियों के लिए ग्लैमर की दुनिया में जाने की मनाही है, इस बारे में आपकी क्या राय है?

जवाब- आज भी कन्या भ्रूण हत्या जैसे दुष्कृत्य होते हैं तो मुझे काफी दुख होता है। उन्हें इस बात का दुख है कि सरकार के कठोर नियम भी इसे रोकने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। कहने को तो हम आधुनिक दौर में हैं, लेकिन हमारे देश में कई राज्य ऐसे हैं, जहां आज भी लोग लड़की की बजाय लड़कों को तवज्जो दी जाती है। लड़कियों का घटता ¨लगानुपात ¨चता का विषय है। यह लाइन बेकार नहीं है। लोगों की मानसिकता बेकार है। मुझे खुशी है कि मेरे माता-पिता ने हरियाणा के छोटे से गांव से मुझे बाहर निकाला और आगे बढ़ने दिया। सवाल- हरियाणवी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए क्या करना होगा?

जवाब- पहले के समय में लड़कियों को कुश्ती, क्रिकेट आदि खेल नहीं खेलने दिए जाते थे। जब सरकार ने खेल पॉलिसी बनाई, तो अभिभावकों ने अपनी बेटियों को आगे निकाला और आज वह देश की लिए मेडल ला रही हैं। मेरा मानना है कि सरकार को हरियाणवी सिनेमा को आगे ले जाने के लिए कुछ पॉलिसी बनानी चाहिए और हरियाणवी भाषा को तवज्जो देनी चाहिए। साथ ही गांव के लड़कों और लड़कियों को खेलों की तरह इसमें भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में हरियाणवी बोली में आई फिल्मों ने मुंबई में नहीं बल्कि बड़े स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। मुझे भी काफी अच्छा लगता है। जब मैं अपनी हरियाणवी बोली सभी के बीच में बोलती हूं।

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