विधायकों के लिए चुनौती है अतिक्रमण व अवैध कब्जे

फोटो नंबर- 11 व 12 ----------------- -शहर से लेकर गावों तक अवैध कब्जे में फंसी है करोड़ों की सरक

By Edited By: Publish:Sat, 25 Oct 2014 06:59 PM (IST) Updated:Sat, 25 Oct 2014 06:59 PM (IST)
विधायकों के लिए चुनौती है अतिक्रमण व अवैध कब्जे

फोटो नंबर- 11 व 12

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-शहर से लेकर गावों तक अवैध कब्जे में फंसी है करोड़ों की सरकारी जमीन

-धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक स्थानों व पंचायती जमीनों पर है दबंग लोगों का कब्जा

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: आम जनता की बात करें तो वोट की तगड़ी चोट से सत्ता परिवर्तन कर दिया है। रेवाड़ी, बावल व कोसली को भी नये विधायक मिल गये हैं, लेकिन अब नवनिर्वाचित विधायकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अतिक्रमण व अवैध कब्जे हटाना।

शहर से लेकर गांवों तक करोड़ों की जमीन अवैध कब्जे में फंसी हुई है। धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक स्थानों तथा पंचायती जमीनों पर दबंग लोगों का कब्जा बना हुआ है। कहीं धर्म की आड़ में जमीनों पर कब्जे किये जा रहे हैं तो कहीं पर गरीब फल विक्रेता का चेहरा आगे करके कीमती सरकारी जमीन हथियाने की कवायद की जा रही है।

अतिक्रमण से तंग हुई प्रमुख सड़कें

शहर की कई सड़कें अतिक्रमण के कारण तंग हो चुकी है। जिन सड़कों की चौड़ाई 80 से 100 फुट तक है, उनमें कुछ स्थानों पर तो कई बार अतिक्रमण के कारण 10 फुट का रास्ता भी नहीं दिखता। गढ़ीबोलनी रोड़ पर सरेआम मैटल रोड़ पर चाय की दुकानें चल रही है। भोजनालय सड़क पर चल रहा है। नाईवाली चौक से लेकर मेन बाजार तक की पूरी सड़क अतिक्रमण करने वालों के कब्जे में है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि अवैध वसूली करने वाले लोगों ने सड़कों पर रेहड़ी लगाने का ठेका किया हुआ है। कांग्रेस के शासन में भी ये बात कई बार संज्ञान में लाई गई, लेकिन अजीत बालाजी जोशी के उपायुक्त रहते कुछ समय के लिए हुई कार्रवाई को छोड़ दें तो अधिकांश समय अतिक्रमणकारी ही प्रशासन पर भारी रहे हैं। नाईवाली चौक, बस स्टैंड, झज्जर चौक, काठमंडी, रेलवे रोड़, मोती चौक, गोकल बाजार, पंजाबी मार्केट सहित शहर की तमाम मार्केट में अतिक्रमण है। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कभी भी गंभीरता इसलिए नहीं दिखाई गई, क्योंकि जन प्रतिनिधियों को वोट खिसकने का डर रहा।

अवैध कब्जे भी कम नहीं

जिले में कोसली, बावल व रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्रों में अवैध कब्जों के मामले में स्थिति एक जैसी है। शायद ही कोई गांव ऐसा है, जहां पर अवैध कब्जे नहीं है। रेवाड़ी शहर, धारूहेड़ा, बावल व कोसली में भी अवैध कब्जों की भरमार है। कहीं पर टाइटल विवादित बनाकर अवैध कब्जे किये हुए हैं तो कहीं पर वक्फ बोर्ड की जमीनों पर कब्जा किया हुआ है। देखना ये है कि नवनिर्वाचित विधायक अतिक्रमण व अवैध कब्जों से परेशान आम लोगों को राहत देने के लिए कब व क्या कार्ययोजना तैयार करेंगे।

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