यमुनानगर में दो घंटे से पुराना नेशनल हाईवे जाम, रोड पर बैठे किसान और आढ़ती

यमुनानगर में किसानों और आढ़तियों ने पुराना नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया है। प्रशासनिक अधिकारियों पर धान की खरीद सुचारू न करने का आरोप लगाया गया है। दो दिन से मंडियों में किसान हैं लेकिन खरीद न होने से किसान ने विरोध जताया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 03:32 PM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 03:32 PM (IST)
यमुनानगर में दो घंटे से पुराना नेशनल हाईवे जाम, रोड पर बैठे किसान और आढ़ती
यमुनानगर में नेशनल हाईवे पर बैठे किसान और आढ़ती।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। किसानों और आढ़तियों का आक्रोश रुकने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार सरकार के विरोध में धरने और प्रदर्शन जारी हैं। अब यमुनानगर में धान की खरीद न शुरू होने को लेकर किसान और आढ़तियों ने हंगामा शुरू कर दिया। विरोध इतना बढ़ गया कि वे रोड पर आ गए। आढ़तियों और किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नेशनल हाईवे जाम कर दिया। सूचना मिलते ही जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्‍हें समझाया। बावजूद वे नहीं मानें।

अनाज मंडी में धान की खरीद शुरू न होने से गुस्साए आढ़तियों व किसानों ने पुराना नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। नायब तहसीलदार ओमप्रकाश व डीएसपी सुभाष चंद्र किसानों को मनाने पहुंचे लेकिन किसान नहीं माने। किसान व आढ़ती इस बात पर अड़े हुए थे कि मंडी में जो धान पहुंचा है वह खरीदा जाए, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि केवल उन्हीं किसानों का धान खरीदा जाएगा जिनके गेट पास कटे हुए हैं।

मार्केट कमेटी कार्यालय का घेराव किए जाने के बाद गुस्साए आढ़तियों व  किसानों ने नेशनल हाईवे के बीच ट्रैक्टर ट्राली खड़ी कर जाम लगा दिया। आरती एसोसिएशन के प्रधान संदीप कुमार, आढ़ती सुखदेव कंबोज व मनीष कंबोज का कहना है कि गेट पास काटे जाने की प्रक्रिया में खामियां हैं। मंडी के दोनों गेटों पर किसानों को गेट पास नहीं दिए जा रहे। मजबूरी ने उनको बिना गेट पास ही मंडी मे धान डालनी पड़ी।

उनके मुताबिक ऐसे किसानों की संख्या भी कम नहीं है जिनके पास 1 दिन पहले शाम को मैसेज गया और अगले दिन मंडी में फसल लेकर आने को कहा गया। ऐसे में किसान अपनी फसल कैसे लेकर आ सकता है। किसान रघुवीर सिंह, मामचंद व हरिराम का कहना है कि वह 2 दिन पहले मंडी में धान लेकर आए थे। गेट पास भी कट गया। धान में नमी भी नहीं है। बावजूद इसके उसकी फसल नहीं खरीदी गई।

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