सोशल मीडिया पर प्रचार नहीं कर सकेंगे वकील, प्रस्ताव पास
स्टेट बार काउंसिल ने सभी जिले की बार को पत्र भेजा है। अब कोई वकील अपना प्रचार सोशल मीडिया पर नहीं कर सकेगा। उल्लंघन करने पर सख्त कार्यवाही होगी।
पानीपत, जेएनएन। राज्य बार काउंसिल पंजाब एंड हरियाणा ने जनरल हाउस की मीटिंग में प्रस्ताव पास किया है। अब सोशल मीडिया जैसे वॉट्सएप, फेसबुक सहित समाचार पत्रों में अपनी विशेषज्ञता का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकेंगे। स्टेट बार काउंसिल ने सभी जिलों की बार एसोसिएशन को प्रस्ताव संबंधी पत्र भेजा है।
बार काउंसिल पंजाब एंड हरियाणा के चेयरमैन एडवोकेट करणजीत सिंह ने बताया कि काउंसिल से एक लाख से भी अधिक वकील जुड़े हैं। तमाम जगह से ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि कुछ वकील सोशल मीडिया के जरिए अपना प्रचार कर रहे हैं। वकील स्वयं को क्रिमिनल, सिविल केस, इंश्योरेंस मुआवजा विशेषज्ञ बताते हुए वीडियो तक अपलोड कर रहे हैं। वकालत को सम्मानजनक पेशा माना जाता है। कानूनी पेशेवरों द्वारा विज्ञापन दिया जाना उचित नहीं माना जाता। बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स-36 में कहा गया है कि लॉ फर्म और वकीलों को ऑफलाइन-ऑनलाइन, किसी भी तरह के विज्ञापन करने की अनुमति नहीं है।
चेयरमैन के मुताबिक किसी वकील द्वारा प्रचार-प्रसार करने की शिकायत मिलती है तो जांच की जाएगी। दोष साबित होने पर उसके खिलाफ अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के तहत कार्यवाही की जाएगी। बता दें कि कोर्ट के निर्णय (सजा जैसे मामलों) में भी वकील अपना नाम का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते हैं।
स्टेट बार काउंसिल के पास अधिकार :
-शिकायत को खारिज किया जा सकता है।
-आरोप साबित होने पर वकील को चेतावनी दी जा सकती है।
-अधिवक्ता की प्रेक्टिस पर सीमित अवधि के लिए रोक लगा दें।
-अधिवक्ता का नाम राज्य रोल से हटा दें।
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