Haryana News: फिर राजनीति के ट्रेजडी मैन बने बीरेंद्र सिंह, कांग्रेस में घर वापसी करने के बाद भी हुए नजरअंदाज
Haryana News भाजपा में स्वर्णिम काल बिताकर कांग्रेस में लौटे बीरेंद्र सिंह फिर से ट्रेजडी मैन ही रह गए हैं। बीरेंद्र सिंह और उनके पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़कर अपना लोकसभा का टिकट तो गंवाया ही साथ ही कांग्रेस ने भी दोनों पिता-पुत्रों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। भाजपा में 10 साल का शानदार समय बिताया।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। भाजपा में 10 साल का शानदार राजनीतिक जीवन जीने के बाद कांग्रेस में लौटे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की राजनीति अब हाशिये पर है। बीरेंद्र सिंह और उनके पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़कर अपना लोकसभा का टिकट तो गंवाया ही, साथ ही कांग्रेस ने भी दोनों पिता-पुत्रों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।
कांग्रेस में 40 साल के राजनीतिक करियर के दौरान बीरेंद्र सिंह पर ट्रेजडी किंग का लेबल लगा रहा। भाजपा ने 10 साल के भीतर बीरेंद्र सिंह, उनके बेटे बृजेंद्र सिंह और पत्नी प्रेमलता को राजनीति की बुलंदियों पर पहुंचाया। कांग्रेस में लौटते ही बीरेंद्र सिंह के साथ अब उनके बेटे बृजेंद्र सिंह भी राजनीति के ट्रेजडी मैन बन गए हैं।
अपने बड़बोलेपन की वजह से राजनीति में हाशिये पर पहुंचे बीरेंद्र
बीरेंद्र सिंह अपनी अति महत्वांकाक्षा और बड़बोलेपन की वजह से राजनीति में हाशिये पर पहुंचे हैं। बीरेंद्र सिंह को भाजपा ने सबसे पहले राज्यसभा सदस्य बनाया और फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री पद से सुशोभित किया।
उनके आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार लोकसभा सीट से टिकट देकर सांसद बनाया। धर्मपत्नी प्रेमलता को जींद की उचाना विधानसभा सीट से टिकट दिया और विधानसभा में पहुंचाया। लेकिन बदले में बीरेंद्र सिंह ने किसान संगठनों के आंदोलन को बार-बार हवा देकर भाजपा के लिए परेशानियां खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
भाजपा ने दिखाया जताया था भरोसा
भाजपा ने उनपर भरोसा कर बीरेंद्र सिंह को जाट आरक्षण और किसान संगठनों के आंदोलन को खत्म कराने की जिम्मेदारी भी दी, लेकिन किसानों व जाटों के बड़े नेता के रूप में स्वयं के पेश करने वाले बीरेंद्र सिंह इन दोनों मसलों पर भाजपा को कोई राहत नहीं दिला सके। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं मोर्चा संभाला तो बात बनी।
बीरेंद्र सिंह ने बार-बार भाजपा पर हरियाणा की सरकार में सहयोगी जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने का दबाव बनाया। भाजपा दबाव में नहीं आई तो उन्होंने पार्टी छोड़ने की कई बार धमकियां दी। स्वयं ही इस बात का अंदाजा लगाकर कि इस बार उनके बेटे बृजेंद्र सिंह का हिसार से भाजपा टिकट काट सकती है, बेटे को कांग्रेस ज्वाइन करा दी। कुछ दिनों बाद कांग्रेस में चले गए।
कांग्रेस में जाते ही बीरेंद्र ने शुरू किया खेल
कांग्रेस में जाते ही बीरेंद्र सिंह ने अपना खेल शुरू कर दिया। बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल तो पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में हुए, लेकिन हुड्डा विरोधी गुट एसआरके (कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी) के साथ मित्रता की पींगें बढ़ानी शुरू कर दी।
हुड्डा ने बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक राह भांपते हुए बृजेंद्र सिंह का हिसार से टिकट कटवाकर अपने पुराने दोस्त पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश जेपी को दिला दिया। अब बीरेंद्र सिंह इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला के साथ राजनीतिक पींगें बढ़ाने का काम कर रहे हैं, जिसका साफ संदेश हैं कि बीरेंद्र सिंह पहले भी राजनीति के ट्रेजडी मैन थे और आज भी हैं।
भाजपा में पांच साल का जीवन मेरे लिए सीख
हिसार से सीटिंग एमपी होने के नाते उम्मीद थी कि कांग्रेस का टिकट मिलेगा लेकिन नहीं मिला। इसके पीछे की वजह दिल्ली की राजनीति नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति है। अब मैं सोच-समझकर राजनीति करूंगा। पहले मैं दुनिया को ब्लैक एंड व्हाइट समझता था, लेकिन दुनिया में ग्रे रंग का एरिया भी बहुत ज्यादा है। भाजपा में मेरी राजनीति के पांच साल आसानी से निकले, लेकिन मैं राजनीतिक तौर पर परिपक्व नहीं हो सका। यह मेरे लिए सीख की तरह है। -बृजेंद्र सिंह, पूर्व सांसद, हिसार
विचारधारा के तौर पर कांग्रेस ज्यादा ठीक
भाजपा से हमारी विचारधारा मेल नहीं खा रही था। रुलिंग पार्टी छोड़कर आए हैं, हमारा कांग्रेस में आना महत्वपूर्ण है। हमें टिकट नहीं मिला, यह बात सही है। इसके राजनीतिक कारण देखने होंगे। हम यह देख रहे हैं कि पार्टी हाईकमान ने किस क्राइटेरिया को देखकर टिकटों का आवंटन किया है। मैं कांग्रेस में आया हूं। पहले वाली कांग्रेस में और आज की कांग्रेस में काफी अंतर है। विचारधारा के तौर पर मैं कांग्रेस में स्वयं को ज्यादा ठीक मानता हूं। यहां विचारों की अभिव्यक्ति है। मैं सीएम तो नहीं बन सका, लेकिन मेरा बेटा अब सीएम के दावेदारों में शामिल हो गया। -बीरेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री