छठ मइया की बरसेगी कृपा, वर्षों बाद बना ऐसा संयोग

महापर्व छठ नहाय खाय से शुरू हो गया। खरने के साथ ही 36 घंटे का व्रत शुरू हो गया है। वहीं इस बार छठ मइया की कृपा बरसेगी। जानिए आखिर ऐसा क्या है शुभ संयोग।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 06:46 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 01:22 PM (IST)
छठ मइया की बरसेगी कृपा, वर्षों बाद बना ऐसा संयोग
छठ मइया की बरसेगी कृपा, वर्षों बाद बना ऐसा संयोग

जेएनएन, पानीपत: छठ महापर्व पर व्रती महिलाओं ने अपने कुल देवता का पूजन कर व्रत का संकल्प लिया। व्रतियों ने छठ मईया की पूजा अर्चना की। शाम के समय चूल्हे में आम की लकडिय़ां जलाकर उस पर गुड की खीर व पूरी बनाई गई। महिलाओं ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ कुल देवता की पूजा कर व्रत को सफल बनाने व सुख-समृद्धि की कामना की। पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ ही व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा। इस बार का छठ महापर्व कई वर्षों बाद खास है। जानने के लिए पढि़ए दैनिक जागरण की ये खबर।

पंडितों की मानें तो चार दिवसीय अनुष्ठान में ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। रविवार को नहाय-खाय से षष्ठी व्रत का आरंभ होना शुभ फल देने वाला है। षष्ठी व्रत का आरंभ रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग में होने से कार्तिक छठ व्रत का महात्म्य और बढ़ गया है। ऐसा संयोग दशकों बाद आया है। सांध्यकालीन अर्घ्य मंगलवार को उतरा खाड नक्षत्र में गंड एवं अमृत योग में पड़ेगा। बुधवार सुबह में प्रात:कालीन अर्घ्य का समय उदया तिथि में गंड व छत्र योग में पड़ेगा। 

चार गुणा महंगा बिक रहा सामान
पिछले वर्ष की तुलना में तीन से चार गुणा महंगा सामान मिल रहा है। अघ्र्य के लिए जरूरी हल्दी का पौधा पांच की बजाए 20 रुपये में मिल रहा है। नारियल, अदरक और गन्ना भी महंगा है। पांच सौ में अर्घ्य का सामान पूरा हो जाता था। इस बार 1700-1800 रुपये जेब से देने पड़े। दुकानदार इस पर्व का फायदा उठा रहे हैं। 

छठ पर्व के लिए तैयार किए गए घाट।

पर्व के लिए घाट तैयार 
गोहाना रोड एनएफएल रजवाहा, असंध रोड नहर और बाबरपुर ड्रेन के पास छठ पर्व के लिए घाट सज कर तैयार हो गया है। रविवार को घाटों पर सफाई का काम चला। बिहार और उत्तर प्रदेश के दो से ढाई लाख लोग छठ पर्व मनाते हैं।  

अर्घ्य देने से नष्ट होते कई जन्मों के पाप
कर्मकांड विशेषज्ञ के मुताबिक सूर्य को अर्घ्य देने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह निरोग काया और सभी मनोरथ पूर्ण करने वाला होता है। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान व्रती पीतल व तांबे के पात्रों का प्रयोग करें। इसके अलावा किसी प्रकार के बर्तनों का प्रयोग करना वर्जित माना गया है। पीतल के पात्रों से दूध का अर्घ्य देना सही है। तांबे के पात्र में जल से अर्घ्य देना चाहिए। 

 

खरीदारी करती महिला।

व्रती पर बनी रहती छठी मैया की कृपा
छठ व्रत करने वालों पर भगवान सूर्य और षष्ठी माता की कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि नहाय-खाए से लेकर पारण तक व्रती पर भगवान सूर्य अपना आशीष प्रदान करते हैं। श्रद्धापूर्वक व्रत करने वाले व्रती का आशीर्वाद लेने के लिए अपने आचरण को शुद्ध बनाए रखने की जरूरत है। स्कंद पुराण में वर्णि है कि सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य प्राप्ति के साथ सौभाग्य एवं संतान की कुशलता के लिए रखा जाता है।

भगवान भास्कर की मानस बहन है षष्ठी देवी
षष्ठी देवी भगवान भास्कर की मानस बहन हैं। यही कारण है कि भगवान भास्कर के साथ उनकी बहन षष्ठी देवी की पूजा होती है। ग्रहों के बारे जानकारी देते हुए आचार्य ने बताया कि जब तिथियों के बंटवारा हो रहा था तब सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। 

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