Exclusive: अनोखी है नौकरशाही की मुखिया बनीं तीन बहनों की कहानी, पिता की एक बात ने दिखाई मंजिल

हरियाणा की तीन बहनों की कहानी बेहद अनोखी और प्रेरणा देने वाली है। हरियाणा की नई मुख्‍य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा और उनकी बहनों को पिता की एक इच्‍छा ने नाैकरशाही के शीर्ष पर पहुंचाया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 03 Jul 2019 12:27 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2019 11:14 PM (IST)
Exclusive: अनोखी है नौकरशाही की मुखिया बनीं तीन बहनों की कहानी, पिता की एक बात ने दिखाई मंजिल
Exclusive: अनोखी है नौकरशाही की मुखिया बनीं तीन बहनों की कहानी, पिता की एक बात ने दिखाई मंजिल

चंडीगढ़, जेएनएन। कामयाबी की यह कहानी बेहद अनोखी है। हरियाणा की नई मुख्‍य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा और उनकी दो बहनों के नौकरशाही की कप्‍तान बनने के बारे में तो सबको पता है, लेकिन इसके पीछे की कहानी भी कम रोचक नहीं है। महिला सशक्‍तीकरण की मिसाल बनीं तीनों बहनों को इस मंजिल पर उनके पिता की इच्‍छा ने पहुंचाया। इसका खुलासा खुद केशनी आनंद ने खास बातचीत में की।

हरियाणा की नई मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने खास बातचीत में बताई कामयाबी की कहानी

केशनी आनंद अरोड़ा की बड़ी बहन मीनाक्षी आनंद चौधरी प्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव थीं। दूसरी बहन उर्वशी गुलाटी भी हरियाणा की मुख्य सचिव रह चुकी हैैं। दोनों बड़ी बहनों के बाद सबसे छोटी केशनी आनंद अरोड़ा ने हरियाणा की बागडोर संभाली तो तीनों बहनें सुर्खियों में आ गईं और महिलाओं के लिए मिसाल बन गईं। जीवन की कठिनाइयों के बीच मंजिल तक पहुंची तीनों बहनों की कहानी राह दिखाती हैं। पिता की इच्‍छा थी कि तीनों बहनें हरियाणा की मुख्‍य सचिव बनें और उन्‍होंने पिता के इस सपने को साकार भी किया। बस इसे पूरा होते देखने के लिए पिता नहीं हैं।

हरियाणा की नई मुख्‍य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा।

बोलीं- प्रदेश के बहुमुखी विकास और सोशल सेक्टर पर रहेगा फोकस, अफसरों की टीम अच्छी

1983 बैच की आइएएस अधिकारी केशनी आनंद अरोड़ा की रिटायरमेंट अगले साल 30 सितंबर को है। उन्हें मुख्य सचिव के पद पर करीब सवा साल काम करने का मौका मिलेगा। केशनी आनंद अरोड़ा से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-


- एक परिवार की तीन बहनें। तीनों ही आइएएस अधिकारी। तीनों ही मुख्य सचिव के पद तक पहुंची। कैसा महसूस हो रहा?

- हम आज जो भी कुछ हैं, उसका श्रेय स्वर्गीय माता-पिता को जाता है। पूरे घर का माहौल शिक्षामयी था। माता-पिता ने अपने मनोरंजन के लिए कभी टेलीविजन तक नहीं खरीदा। हम कभी ट्यूशन पढऩे के लिए किसी अकादमी में नहीं गए। पिताजी ने ही हमें घर पर पढ़ाया। मैं 27 साल की थी तब अपनी मां को खो दिया। पिताजी वर्ष 2014 में हमें छोड़कर चले गए, लेकिन ऐसा महसूस हुआ कि उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है। पिताजी की इच्छा थी कि हम तीनों बहनें चीफ सेक्रेटरी (मुख्‍य सचिव) बनकर रिटायर हों। सरकार ने मुझे उनकी इच्छा पूर्ति का मौका दिया, इसके लिए मैं उसकी आभारी हूं।

केशनी आनंद अरोडा़ (सबसे दाएं) अपनी बड़ी बहनों के साथ।

- जो हरियाणा कभी कोख में बेटियों की हत्या के लिए बदनाम रहा, उस हरियाणा की बागडोर महिला अधिकारियों के हाथ में आई, तो कैसा लगा?

- मेरे पिता डॉ. जगदीश चंद्र आनंद पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर थे। हमारी मां शिक्षा के मामले में चैंपियन थीं। दोनों ने हम तीनों बहनों को शिक्षित व आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया। हम तीनों बहनों ने राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री लेते हुए विश्वविद्यालय में टॉप किया। अब भी धीरे-धीरे समाज की सोच में बदलाव आ रहा है। मुख्य सचिव के नाते मेरा फोकस सोशल सेक्टर में सुधार पर रहेगा।

- कई राज्यों में मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के बीच टकराव के हालात देखने को मिलते हैैं?

- सरकार ने मुझे जो दायित्व सौंपा है, उसका बखूबी निर्वाह करने की कोशिश करूंगी। प्रदेश के बहुमुखी और बहुआयामी विकास के लिए मेहनत करना मेरी जिम्मेदारी है। मुख्य सचिव का पद कोआर्डिनेशन का पद होता है, जो सरकार की नीतियों को लागू करता हैै। हरियाणा में अफसरों की टीम अच्छी और मेहनती है। मुझे उनके साथ काम करने में अच्छा लगेगा।

- मुख्य सचिव के पद को कांटों का ताज माना जाता है। आप इस जिम्मेदारी को कैसे देखती हैैं?

- मैं सरकार में जिस पद पर भी रही, मैंने एक वर्कर की तरह काम किया। मैं सरकार और जनता की वर्कर हूं। प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाने का लक्ष्य है। गरीब और जरूरतमंद की सेवा मेरा लक्ष्य रहा है। पिताजी से यही संस्कारों में मिला है। हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार की अहम योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाना मेरी मंशा है।

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