हुड्डा और रॉबर्ट वाड्रा को झटका, Sky Light Hospitality का लाइसेंस रद करने की तैयारी में विभाग

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड को सन् 2008 में दिया गया रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस रद करने की तैयारी कर ली है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 20 Sep 2019 08:34 AM (IST) Updated:Sat, 21 Sep 2019 08:37 AM (IST)
हुड्डा और रॉबर्ट वाड्रा को झटका, Sky Light Hospitality का लाइसेंस रद करने की तैयारी में विभाग
हुड्डा और रॉबर्ट वाड्रा को झटका, Sky Light Hospitality का लाइसेंस रद करने की तैयारी में विभाग

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए खड़ा होने की कोशिश कर रही कांग्रेस को एक और तगड़ा झटका लगा है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड को सन् 2008 में दिया गया रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस रद करने की तैयारी कर ली है। लाइसेंस रद करने की तमाम औपचारिकताएं पूरी हो चुकीं और किसी भी समय आदेश जारी हो सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड को गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव (सेक्टर-83) में 3.53 एकड़ जमीन साढ़े सात करोड़ रुपये में कॉलोनी डेवलप करने के लिए दी गई थी। प्रदेश सरकार ने इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन भूमि को व्यावसायिक कॉलोनी के तौर पर विकसित करने की मंजूरी देते हुए लाइसेंस रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को दिया था। 

इसके उलट कॉलोनी डेवलप करने के बजाय 18 सितंबर 2012 को रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने 58 करोड़ में इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया। तब भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी। आरोप है कि सरकार से कम दाम पर मिली इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेचकर स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया।

स्काई लाइट ने सेल डीड के जरिये इस जमीन को तो डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया, लेकिन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने लाइसेंस को ट्रांसफर करने की अंतिम मंजूरी नहीं दी थी। डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड रिन्यूअल फीस वर्ष 2018 तक जमा कराती रही, लेकिन इसके बाद लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया गया है। इसे आधार बनाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वाड्रा की कंपनी को वर्ष 2008 में दिया गया रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस रद करने का निर्देश दिया है। 

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने गुरुग्राम जमीन घोटाले में स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी के खिलाफ पहले ही एफआइआर दर्ज कर रखी है। इसके अलावा पिछले साल गुरुग्राम पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीएलएफ के खिलाफ अलग से एफआइआर दर्ज की थी। 

यह है लाइसेंस रद करने का आधार 

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के निदेशक केएम पांडुरंग के मुताबिक हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्रों के विनियमन अधिनियम 1975 के प्रावधानों के अनुसार लाइसेंस रद करने की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। विभाग के पास लाइसेंस रद करने के लिए आधार है, क्योंकि वर्ष 2012 में तत्कालीन महानिदेशक अशोक खेमका ने इस जमीन का म्यूटेशन रद कर दिया था। अधिनियम की शर्तों के मुताबिक लाइसेंस धारक के पास भूमि का स्पष्ट शीर्षक होना चाहिए। एक उपनिवेशक लाइसेंस धारक को आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक उद्देश्यों के लिए एक कॉलोनी स्थापित करने की अनुमति देता है।

आइएएस खेमका ने उजागर किया था घोटाला

हरियाणा के चर्चित अफसर अशोक खेमका ने वर्ष 2012 में इस घोटाले को उजागर करते हुए सौ पेज की रिपोर्ट में स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी को कठघरे में खड़ा कर दिया था। हंगामे के बाद मामला पूरे देश में सुर्खियों में आया तो तत्कालीन हुड्डा सरकार ने खेमका को किनारे लगा दिया था। बाद में नई सरकार बनने पर मुख्यमंत्री मनोरह लाल ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग से मामले की जांच कराई। आयोग ने 182 पेज की रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी है, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के कारण रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। 

हुड्डा सरकार ने भूमि को बनाया कॉमर्शियल

पुलिस में सुरेंद्र शर्मा द्वारा दर्ज शिकायत के मुताबिक स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी ने शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के जरिये करीब साढ़े तीन एकड़ जमीन औने-पौने दाम में खरीदी थी। इस कंपनी के डायरेक्टर रॉबर्ट वाड्रा हैं। आरोप है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नियमों को ताक पर रखते हुए जमीन को कॉमर्शियल बना दिया था। डीएलएफ ने स्काई लाइट कंपनी को करोड़ों का फायदा पहुंचाते हुए इस जमीन को 58 करोड़ रुपये में खरीद लिया।

स्काई लाइट कंपनी ने जब जमीन की रजिस्ट्री कराई, उस समय कंपनी की पूंजी एक लाख रुपये थी और इस कंपनी के खाते में पैसे भी नहीं थे। रजिस्ट्री के दौरान जो चेक लगाए गए, वह भी बाउंस हो गए। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पर यह भी आरोप है कि वजीराबाद गांव में 350 एकड़ जमीन डीएलएफ कंपनी को गलत तरीके से अलॉट कर उसे करीब पांच हजार करोड़ का फायदा पहुंचाया गया।

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