एसवाईएल मामले में हरियाणा का पक्ष कानूनी रूप से मजबूत, लिंक नहर से दिल्‍ली काे भी होगा लाभ

एसवाईएल नहर मामले पर हरियाणा का पक्ष कानूनी रूप से मजबूत है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने भी पंजाब को वार्ता में नहर का निर्माण पूरा करने को कहा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2020 11:15 AM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 11:15 AM (IST)
एसवाईएल मामले में हरियाणा का पक्ष कानूनी रूप से मजबूत, लिंक नहर से दिल्‍ली काे भी होगा लाभ
एसवाईएल मामले में हरियाणा का पक्ष कानूनी रूप से मजबूत, लिंक नहर से दिल्‍ली काे भी होगा लाभ

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। सतलुज-यमुना लिंक (एसवाइएल) नहर निर्माण के मुद्दे पर विशेषज्ञों के अनुसार हरियाणा का पक्ष कानूनी रूप से पूरी तरह मजबूत है। यही कारण है कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से एसवाइएल नहर निर्माण की सभी बाधाएं दूर करने के लिए कहा। शेखावत यह भी साफ कर चुके हैं कि एसवाइएल नहर का निर्माण जल बंटवारे का नहीं बल्कि जल स्रोतों का बेहतर प्रबंधन का मुद्दा है। यदि रावी, ब्यास और सतलुज का अतिरिक्त पानी एसवाइएल के जरिए दक्षिण हरियाणा और दिल्ली तक आता है तो इसका फायदा राजस्थान तक होगा।

कानूनी तर्कों से अलग पंजाब उठा रहा है सिर्फ राजनीतिक मुद्दे

सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर 2016 को जब हरियाणा के हक में फैसला दिया तो उसमें साफ तौर पर एसवाइएल नहर निर्माण को राष्ट्रीय हित के परिदृश्य में देखा है। इसमें कहीं भी जल बंटवारे का संदर्भ नहीं दिया गया। यही तर्क देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कहा कि वे पहले नहर निर्माण होने दें। जल बंटवारा तो बाद का मुद्दा है।

पंजाब के रुख से एक बार फिर गरमाएगी सियासत

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अलावा भी अब हरियाणा के पास वे तर्क भी हैं जिनमें रावी,ब्यास, सतलुज का अतिरिक्त पानी पाकिस्तान जा रहा है। केंद्रीय मंत्री शेखावत का तो यह भी कहना है कि यदि एसवाइएल से अतिरिक्त पानी भी हरियाणा आया तो यह भी उन क्षेत्रों का भूजल स्तर बढ़ाने का काम करेगा जो डार्कजोन में चले गए हैं।

मनोहरलाल ने दिल्‍ली में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से मुलाकात की

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को चंडीगढ़ लौटने से पहले दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से भी मुलाकात की। दोनों की इस मुलाकात को भी पंजाब और हरियाणा के बीच मंगलवार को हुई वार्ता के परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। मनोहर लाल अपने पक्ष के कानूनी पहलुओं को न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि राज्य के नेताओं के बीच लेकर जाएंगे। इसके लिए उन्होंने यह भी कहा कि जब पंजाब के सीएम एक बार सभी दलों के नेताओं से बात करेंगेे तो वे भी अपने राज्य के सभी दलों के नेताओं से बात करेंगे।

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-बेहतर जल प्रबंधन कर नजीर पेश करेगा हरियाणा

हरियाणा एसवाइएल से भी अलग राज्य के अन्य जल स्रोतों में बेहतर प्रबंधन कर पूरे देश के लिए नजीर पेश करने की तैयारी में जुटा है। इसके लिए राज्य सरकार ने 3251 करोड़ रुपये की व्यापक योजना तैयार की है। इसमें प्रति वर्ष बारिश के मौसम में हजारों क्यूसिक पानी नदियों में व्यर्थ बहने से रोका जाएगा।

हरियाणा में जल वितरण के लिए सबसे अहम पश्चिमी यमुना नहर में बहते अतिरिक्त पानी की उपयोगिता तय करने के लिए बनाई इस योजना को भी राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में ले जा सकती है। असल में हथिनीकुंड बैराज से हामिदा हेड तक सिर्फ 20 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में ही पश्चिमी यमुना नहर के समानांतर कोई नहर,नाला नहीं है। शेष पूरे क्षेत्र में कोई न कोई नहर, नदी, नाला इसके समानांतर बह रहा है।

यदि इस 20 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में भी समानांतर नहर बना दी जाए तो हरियाणा के लिए यमुना से पानी लेने की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। 3251 करोड़ रुपये की योजना में राज्य सरकार ने यह कार्य किया है। इसमें करीब 4800 क्यूसिक पानी तीन महीने तक लगातार हरियाणा को तब मिलेगा जब यमुना में अतिरिक्त पानी होगा। इसी पानी से हरियाणा अपने डार्क जोन में भूजल को रिचार्ज कराएगा।

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