कालका में अंडरब्रिज के निर्माण पर विभाग आया सवालों के घेरे में

व्यापारियों के बीच चल रही तनातनी मंगलवार को चौथे दिन भी जारी रही।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 08:54 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 05:14 AM (IST)
कालका में अंडरब्रिज के निर्माण पर विभाग आया सवालों के घेरे में
कालका में अंडरब्रिज के निर्माण पर विभाग आया सवालों के घेरे में

राजकुमार, कालका : कालका-पिजौर के बीच स्थित रेलवे फाटक पर बनाए जाने जा रहे अंडरब्रिज को लेकर विभाग और व्यापारियों के बीच चल रही तनातनी मंगलवार को चौथे दिन भी जारी रही। इस बीच व्यापारियों के लिए राहत की खबर यह है कि विभाग ने अंडरब्रिज का निर्माण कार्य रोक दिया है। लेकिन पहले ही से धोखा खाए बैठे व्यापारी विभाग के इस कदम को भी शक की नजर से देख रहे हैं। भाजपा नेता तरसेम गुप्ता और व्यापारी सिमरनजीत सिंह सहित अन्य ने कहा कि व्यापारियों की मांग जायज है और हम व्यापारियों के साथ खड़े हैं। नए प्रपोजल के हिसाब से व्यापारियों के हित में अंडरब्रिज का निर्माण किया जाना चाहिए। सीएम की कर रहे हैं कुछ लोग छवि खराब

नया प्रपोजल सरकारी की सहमति से पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर और हरियाणा सरकार के तत्कालीन टेक्निकल एडवाइजर ने सर्वे करवाकर तैयार किया था। लेकिन स्थानीय अधिकारी हाई लेवल पर तैयार किए गए सर्वे को मानने के लिए तैयार नहीं हैं, जिससे अंडरब्रिज का मामला सवालों के घेरे में आ गया है। सरकार को इस मामले की जांच करवानी चाहिए। सीएम के हस्तक्षेप पर हुए नए प्रपोजल से सरकार की करीब 15 करोड़ की राशि और 500 व्यापारियों का व्यापार भी बच रहा था। लेकिन कुछ सियासी लोग व अधिकारी सीएम की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन व्यापारी उन्हे किसी भी सूरत में कामयाब नहीं होने देंगे।

-संतराम शर्मा, चेयरमैन मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन सबसे बड़ी बात तो यह है कि विभाग स्थानीय अधिकारी सरकार के नए सर्वे को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। यह बात व्यापारियों को सोचने पर मजबूर कर रही है कि आखिर कौन सा ऐसा कारण है, जिससे विभाग यहां व्यापारियों के साथ साथ सरकार के करीब 15 करोड़ रुपये को बर्बाद करना चाहता है। विभाग को इस बात का जवाब देना चाहिए और अपना अडि़यल रवैया छोड़कर नए सर्वे के प्रपोजल के हिसाब से कार्य करवाना चाहिए।

-मुकेश कंसल, प्रधान, मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन नए सर्वे के हिसाब से सरकार के करीब 15 करोड़ रुपये की बचत भी हो रही है और करीब 500 व्यापारी उजड़ने से भी बच रहे हैं। लेकिन विभाग ने न जाने क्यों व्यापारियों का कारोबार चौपट करने की ठान रखी है। लोगों के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा हुआ है कि जब सरकार द्वारा हाई लेवल कर पर करवाए गए नए सर्वे को कुछ अधिकारियों ने मानना ही नहीं था, तो सर्वे पर सरकार के पैसे और समय बर्बाद करवाने की क्या जरूरत थी।

-आरडी गौतम, व्यापारी

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