जिस डिपो होल्डर का लाइसेंस नवंबर से सस्पेंड, उसी की बायोमैट्रिक मशीन से बांट दिया 42 क्विंटल आटा

सीएम सिटी में खाद्य आपूर्ति विभाग भूतों को भी आटा बांट रहा है। दरअसल विभाग में बड़े स्तर पर घोटाला चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Jul 2019 09:51 AM (IST) Updated:Tue, 09 Jul 2019 09:51 AM (IST)
जिस डिपो होल्डर का लाइसेंस नवंबर से सस्पेंड, उसी की बायोमैट्रिक मशीन से बांट दिया 42 क्विंटल आटा
जिस डिपो होल्डर का लाइसेंस नवंबर से सस्पेंड, उसी की बायोमैट्रिक मशीन से बांट दिया 42 क्विंटल आटा

जागरण संवाददाता करनाल : सीएम सिटी में खाद्य आपूर्ति विभाग भूतों को भी आटा बांट रहा है। दरअसल विभाग में बड़े स्तर पर घोटाला चल रहा है। आटे को ऑनलाइन इधर से उधर कर पात्रों में बंटा हुआ दिखा दिया गया। बाद में उसी आटे को बाजार में बेच दिया गया। 4 जुलाई को एक गोदाम से गरीबों में बंटने वाला 320 क्विंटल आटा पकड़ा गया, वह इसी तरह से सॉफ्टवेयर में हेराफेरी कर निजी गोदाम तक पहुंचाया गया था। दैनिक जागरण ने इस घोटाले का पर्दाफाश करते हुए ऐसे तथ्य जुटाए हैं, जिससे साबित हो रहा है कि इस घोटाले में विभाग के कई इंस्पेक्टरों की मिलीभगत है। खाद्य आपूर्ति अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि जिम्मेदार इंस्पेक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यदि उनका जवाब नहीं आता तो हेड आफिस में कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। रिकॉर्ड भी मिलाया जा रहा है।

रविवार को बंटा हुआ दिखाया आटा

पाल नगर में श्रीपाल का डिपो का लाइसेंस सस्पेंड है। उसकी मशीन नंबर 107400300139 यह है। इसमें एक भी कार्ड नहीं दर्शाया गया। लेकिन इस खाते में 243 क्विंटल 65 किलो राशन अलॉट कर दिया था। जागरण ने यह मामला उठाया। अब खुद को बचाने के लिए विभाग के चार इंस्पेक्टरों ने एक नई चालाकी की। उन्होंने ऑनलाइन इसी मशीन से 42 क्विंटल 20 किलो आटा बांटने का डाटा अपलोड कर दिया। श्रीपाल ने स्वीकार किया कि उसका तो लाइसेंस सस्पेंड है, उसने आटा बांटा ही नहीं। खाते मे क्या चल रहा है, इसकी उसे जानकारी नहीं है।

जो फर्जी डिपो था, उसका नाम हटा सॉफ्टवेयर में सिर्फ नंबर रख लिया

विभाग के कागजों में चल रहे चहल नाम के फर्जी डिपो को भी सॉफ्टेवयर से हटा दिया गया है। अब सिर्फ इसका नंबर 107400300274 रखा गया है। सॉफ्टवेयर में यह बदलाव भी रविवार को छुट्टी वाले दिन किया गया है। दैनिक जागरण ने 5 जुलाई को फर्जी डिपो का भंडाफोड़ किया था। इसमें डीएफएससी अनिल कुमार ने तब उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया था।

बदले गए रजिस्ट्रेशन रजिस्टर

समाजसेवक अरुण कुमार ने 5 जुलाई को डीएफएससी को रजिस्ट्रेशन रजिस्टर में 128 पेज का डाटा देते हुए दावा किया था कि 347 राशन कार्ड आचार संहिता के दौरान बने हैं। यह सारे कार्ड फर्जी हैं। रविवार को विभाग के सॉफ्टवेयर से यह रजिस्टर भी बदल दिया। तरुण ने बताया कि राशन कार्ड में सदस्यों की संख्या भी बहुत ज्यादा दिखाई गई है। इससे उनकी यूनिट बढ़ा दी जाए। ताकि राशन में हेराफेरी की जा सके।

सॉफ्टवेयर इंचार्ज इंस्पेक्टर विनोद ने कहा, जांच कर रहे हैं

इंस्पेक्टर विनोद ने सॉफ्टवेयर में हो रहे बदलाव पर बताया कि जांच की जा रही है। हम देख रहे हैं कि यह बदलाव क्यों और कैसे किया गया। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। सवालों के घेरे में विभाग के चारों इंस्पेक्टर

इंस्पेक्टर विनोद सॉफ्टवेयर इंचार्ज हैं। इंस्पेक्टर राजेंद्र पर चहल नाम के फर्जी डिपो बनाने का आरोप है। इसके साथ ही आचार संहिता में फर्जी राशन कार्ड बनाने का आरोप भी उन पर है। इंस्पेक्टर बिजेंद्र और इंस्पेक्टर कंवर दीप सिंह भी इन आरोपों में सवालों के घेरे में हैं। इधर अरुण ने मांग की कि मामले की जांच विजिलेंस से कराई जाए।

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