आइपीएल की तर्ज पर वॉलीबाल लीग व्याप्क स्तर पर शुरू किए जाने की जरूरत : दलेल सिंह

कहीं सरकार की तर्ज पर बरती गई बेरूखी तो कहीं फेडरेशन दो फाड़ हो जाने के चलते वॉलीबाल खेल के प्रति खिलाड़ियों का लगातार उत्साह गिरा है। ऐसे में बुलंदी पर पहुंचा यह खेल रसातल पर आ गया है। यह बेहद रोमांचकारी खेल है और आज जरूरत है इस खेल को भी क्रिकेट की तर्ज पर बढ़ावा देने की। इसके लिए सरकार के साथ-साथ इससे जुड़े संगठनों को पहल करने की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Nov 2019 09:33 AM (IST) Updated:Mon, 04 Nov 2019 06:27 AM (IST)
आइपीएल की तर्ज पर वॉलीबाल लीग व्याप्क स्तर पर शुरू किए जाने की जरूरत : दलेल सिंह
आइपीएल की तर्ज पर वॉलीबाल लीग व्याप्क स्तर पर शुरू किए जाने की जरूरत : दलेल सिंह

सेवा सिंह, करनाल : कहीं सरकार की तर्ज पर बरती गई बेरूखी तो कहीं फेडरेशन दो फाड़ हो जाने के चलते वॉलीबाल खेल के प्रति खिलाड़ियों का लगातार उत्साह गिरा है। ऐसे में बुलंदी पर पहुंचा यह खेल रसातल पर आ गया है। यह बेहद रोमांचकारी खेल है और आज जरूरत है इस खेल को भी क्रिकेट की तर्ज पर बढ़ावा देने की। इसके लिए सरकार के साथ-साथ इससे जुड़े संगठनों को पहल करने की। इसके लिए ग्रामीण स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक योजनाबद्ध कार्य करना होगा।

यह विचार 1984,87,88 में भारतीय वॉलीबाल टीम के कप्तान रहे एवं वर्ष 1980 से 1991 तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार खेलते हुए भारत का नाम रोशन कर चुके अर्जुन अवार्डी दलेल सिंह ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में व्यक्त किए। वे यहां सेक्टर छह प्रताप पब्लिक स्कूल में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ओर से तीन दिवसीय जोनल खेलों का मुख्यातिथि के तौर पर शुभारंभ करने पहुंचे थे। बातचीत में उन्होंने वर्तमान समय में वॉलीबाल खेल के प्रति आई गिरावट को लेकर गहन चिता जाहिर की।

उन्होंने कहा कि एक समय था जब यह खेल हमारे देश का सिरमौर बन चुका था लेकिन अब फिर इसे बढ़ावा देने की जरूरत है। क्रिकेट आइपीएल की तर्ज पर इस जहां प्रो कबड्डी लीग शुरू की गई तो वहीं वॉलीबाल की भी पिछले वर्ष यह शुरूआत की गई, लेकिन इसमें महज छह टीमें ही आई। इसे और भी व्यापक रूप देना होगा। सरकार इसे प्राथमिकता देते हुए गंभीर प्रयास करें तो उसके जैसे अनेकों खिलाड़ी ग्रामीण स्तर से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम बुलंद कर सकते है तो इस खेल में खिलाड़ियों को करियर भी दिखाई देने लगेगा। इस खेल के प्रति प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा देना होगा। दोनों वॉलीबाल फेडरेशन को एकजुटता दिखानी होगी। ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों को समूचित सुविधा देनी होंगी। खेलों से ही हष्ट-पुष्ट रह सकते है मानसिक दबाव झेल रहे कर्मचारी

हरियाणा शिक्षा बोर्ड में सीनियर खेल अधिकारी व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के खेल निदेशक रह चुके एवं प्रदेश सरकार से भीम अवार्ड से सम्मानित दलेल सिंह कहते है कि आज हर विभाग के कर्मचारी किसी न किसी स्तर पर मानसिक दबाव झेल रहे है। कहीं कार्यालय का दबाव तो कहीं परिवारिक परिस्थितियों के चलते शारीरिक रूप से कमजोर होते जा रहे कर्मचारियों को हष्ट-पुष्ट रखने के लिए हर विभाग को खेलों का आयोजन करना चाहिए। वॉलीबाल जैसे खेलों से उनकी सेहत बेहतर रहेगी तो मानसिक तौर पर भी दबाव कम महसूस करेंगे। ऐसे में वे कार्य बेहतर ढंग से कर सकेंगे। युवाओं को नशे से दूर रहकर करनी चाहिए प्रेक्टिस

दलेल सिंह ने युवाओं को आह्वान किया कि वे नशे से दूर रहे। उन्हें किसी न किसी खेल के प्रति रूचि बनानी चाहिए और इसमें अपनी प्रतिभा साबित करने के लिए कड़ी प्रेक्टिस करें। खिलाड़ी अपना लक्ष्य हमेशा सामने रखें और हर स्तर पर खेल में ईमानदारी व कड़ी मेहनत का परिणाम दिखाई देना चाहिए। माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करें। संक्षेप में दलेल सिंह की उपलब्धियां

- 1984, 1987, 1988 में भारतीय टीम के कप्तान तो लगातार 12 वर्षों तक वॉलीबाल में चमकाया देश का नाम।

- 2005 से 2016 तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के खेल विभाग के निदेशक रहे।

- 1984 में हरियाणा सरकार से भीम अवार्ड तो 1990 में केंद्र सरकार से अर्जुन अवार्ड से सम्मानित।

- 1982 में दिल्ली में हुए एशियन गेम्स में चौथा स्थान ।

- 1986 में सियोल में हुए एशियन गेम्स में कांस्य पदक।

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