किलाजफरगढ़ गांव में पेयजल किल्लत से ग्रामीण परेशान

किलाजफरगढ़ गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। 695 वर्ष पहले बसे इस गांव की महिलाओं को आज भी पेयजल के लिए भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 06:20 AM (IST) Updated:Mon, 21 Dec 2020 06:20 AM (IST)
किलाजफरगढ़ गांव में पेयजल किल्लत से ग्रामीण परेशान
किलाजफरगढ़ गांव में पेयजल किल्लत से ग्रामीण परेशान

संवाद सूत्र, जुलाना: किलाजफरगढ़ गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। 695 वर्ष पहले बसे इस गांव की महिलाओं को आज भी पेयजल के लिए भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। गांव की गलियां भी कच्ची पड़ी हैं। शिक्षित पंचायत भी ग्रामीणों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी और पेयजल समस्या का स्थायी समाधान नहीं कर पाई।

ग्रामीण ओमप्रकाश, रामचंद्र, बनीसिंह, जगदीश व वेदप्रकाश ने बताया कि 1325 में सबसे पहले सहराय गोत्र का रेठा व्यक्ति आकर बसा था। उसी के नाम से आज भी गांव में रिठायण पाना है। गांव में सूखे पेड़ ज्यादा होने के कारण गांव का नाम खुडाली पड़ा। बाद में 1857 की क्रांति के बाद जींद के राजा स्वरूप सिंह ने यहां किले का निर्माण करवाया, जिसके बाद गांव का नाम किलाजफरगढ़ पड़ा। गांव की आबादी साढ़े सात हजार के करीब है। गांव के 4200 मतदाता अपने मत का प्रयोग करके गांव की सरकार चुनते हैं। गांव की साक्षरता दर लगभग 80 प्रतिशत है।

नहीं मिट पाई पेयजल किल्लत: रामचंद्र

ग्रामीण रामचंद्र ने बताया कि अब तक कोई भी सरकार या प्रशासन पेयजल किल्लत नहीं मिटा पाई है। गांव का भूमिगत पानी खारा है, जो किसी भी लिहाज से पीने लायक नहीं है। ग्राम पंचायत ने गांव से पेयजल किल्लत को दूर करने के लिए गांव में तीन टैंक बनवाए, लेकिन जनसंख्या के हिसाब से टैंकों पर ज्यादा भीड़ लगती है।

गांव की काफी गलियां कच्ची

ग्रामीण सुदेश सहरावत ने बताया कि गांव में विकास कार्यों की दरकार है। गांव में गलियों की हालत खस्ताहाल हैं। कई गलियों में आज भी कीचड़ भरा रहता है। महिलाओं को पेयजल के लिए भटकना पड़ता है। पेयजल समस्या का स्थायी समाधान किया जाना चाहिए। गांव की गलियों व तालाबों की सफाई भी लगातार होनी चाहिए।

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