जान की परवाह किए बिना करते है यात्रा

By Edited By: Publish:Sat, 19 Apr 2014 06:25 PM (IST) Updated:Sat, 19 Apr 2014 06:25 PM (IST)
जान की परवाह किए बिना करते है यात्रा

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : मुश्किलों भरा सफर और जान हथेली पर, ये हालात है बहादुरगढ़ से विभिन्न मार्गो पर सफर करने वाले यात्रियों के। इस मार्ग पर चलने वाहनों में अंदर से ज्यादा बाहर यात्री लटके दिखाई देते है। इन यात्रियों को अपनी जान की कोई परवाह नहीं होती। इनके साथ-साथ पुलिस अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते। जिससे इस मार्ग पर दुर्घटनाएं भी लगातार बढ़ रही है। अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए लोगों का सहयोग जरूरी है।

हरियाणा रोडवेज बसों की छतों पर भी बैठने वालों की संख्या अच्छी खासी है। सवारी वाहन चालकों पर तो पुलिस की कार्रवाई का कोई असर होता ही नहीं लेकिन लोग भी मजबूरी या फिर शगल में जान जोखिम में डालने से परवाह नहीं करते। कई रूटों पर चलने वाली मैक्सी कैब और तिपहियों में निर्धारित से कई-कई गुणा अधिक सवारियां भरी जाती है। इन वाहनों के चालक जहां ज्यादा मुनाफे के चक्कर में यातायात कानून को दरकिनार कर ही देते है। सुबह से लेकर रात तक इस मार्ग पर बहादुरगढ़ से रोहतक तक दौड़ने वाले वाहनों में शायद कोई ऐसा वाहन दिखाई दें। जिसकी छत और साइड यात्रियों से न भरी हो। जान जोखिम में डालकर सफर करना इन यात्रियों की मजबूरी नहीं है। प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मानते है कि लोग जिस तरह से वाहनों के ऊपर लदे रहते है उससे तो लगता है कि जैसे उन्हे अपनी जान की कोई परवाह ही नही है। झच्चर-बहादुरगढ़ के दैनिक यात्री अनिल कुमार व रवि शर्मा का कहना है कि कई बार रोडवेज बस चालक निर्धारित स्थान पर बसें ही नहीं रोकते ऐसे में काफी लोगों को तो भागकर लटकना पड़ता है और फिर छत पर ही सवार होना पड़ता है। कई बार भीड़ ज्यादा होती है और गंतव्य तक पहुचने की जल्दी में किसी भी वाहन की छत पर बैठना या फिर साइड में पायदान पर खड़े रहकर यात्रा करना मजबूरी हो जाता है।

उधर टै्रफिक पुलिस प्रभारी विष्णु भगवान का कहना है कि निर्धारित से ज्यादा सवारी भरने वाले वाहनों के चालान किए जाते है। जहा तक बसों का सवाल है तो चालकों को ताकीद किया जाता है कि वे छतों पर यात्रियों को न बैठने दें।

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